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17 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव, क्षेत्रीय दल निभाएंगे निर्णायक की भूमिका

बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा 'हम चाहते है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव सर्वसम्मति से किया जाए।' शुक्रवार को शिवसेना ने कहा कि बीजेपी राष्ट्रपति पद के लिए कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन के नाम की सिफारिश करेगी

India TV News Desk
Updated : June 17, 2017 14:18 IST
rajnath, venkaiah and sitaram
rajnath, venkaiah and sitaram

नई दिल्ली: 17 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद का चुनाव होने वाला है जिसमें क्षेत्रीय दल निर्णायक की भूमिका निभाएंगे। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए बीजेपी का नेतृत्व करने वाले एनडीए ने क्षेत्रीय पार्टियों और विरोधी दलों से बातचीत करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति पद के चुनाव से सम्बन्धित बातों के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सूचना एंव प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बातचीत की। सोनिया गांधी ने पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खडगे को भी इसी बैठक में बुला लिया था कयोंकि उन्हें उम्मीद थी कि वह किसी नाम का प्रस्ताव लेकर आए होंगे। ये भी पढ़ें: 'इलेक्‍शन किंग' के. पद्मराजन ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए दाखिल किया नामांकन

सोनिया गांधी ने कहा हम उम्मीद कर रहे थे कि आप एक या दो नाम का पैनल लेकर जरूर आएंगे, इसका जवाब देते हुए कमेटी के सदस्य ने कहा अभी तक हमने कोई नाम तय नहीं किया है। बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा 'हम चाहते है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव सर्वसम्मति से किया जाए।' शुक्रवार को शिवसेना ने कहा कि बीजेपी राष्ट्रपति पद के लिए कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन के नाम की सिफारिश करेगी यदि वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति नहीं बनाना चाहती। स्वामीनाथन की तरफ से भी इस सर्वोच्च पद के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी जा रही है।

अब मोहन भागवत ने स्वयं देश का संवैधानिक प्रमुख बनने से इनकार कर दिया है। इससे पहले शिवसेना राष्ट्रपति पद के लिए मोहन भागवत के नाम की वकालत कर रहे थे। राष्ट्रपति ने स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को भोजन पर आमंत्रित किया। आमंत्रण स्वीकार कर भागवत शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में प्रणब मुखर्जी के साथ दोपहर भोज करने गए। इस मुलाकात के बाद भागवत और राष्ट्रपति पर कई अटकलें लगाई जा रही है। शिवसेना चाहते थे कि भागवत राष्ट्रपति बने लेकिन इस पद के लिए भागवत ने स्वयं इनकार कर दिया था। इसके विपरीत विपक्षों द्वारा प्रनब मुखर्जी को एक और कार्यकाल देने की चर्चा चल रही है।

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