पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के बारे में बिल्कुल वैसा ही बयान दिया, जैसा भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने दिया। जनता दल (युनाइटेड) के प्रमुख ने राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दने के निर्णय पर पुर्नविचार करने की अपील को नकारते हुए कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में 'बिहार की बेटी' को उम्मीदवार हराने के लिए बनाया गया है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के प्रति उनके मन में सम्मान है।
पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए जद (यू) अध्यक्ष ने कहा, "क्या बिहार की बेटी का चयन हराने के लिए किया गया? जिताने के लिए क्यों नहीं किया गया? दो बार मौका था तब क्यों नहीं याद आई बिहार की बेटी?" राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 'बिहार की बेटी' बताते हुए नीतीश कुमार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की थी।
नीतीश ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन नहीं देने के फैसले को लेकर हो रही आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा, "बिहार की बेटी मीरा कुमार के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है। उनके बिहार की बेटी होने से मुझे भी बहुत गर्व की अनुभूति होती है। मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अच्छा काम किया।"
नीतीश ने विपक्षी दलों को नसीहत देते हुए कहा कि अगर सच में कोई रणनीति बनानी है, तो वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में जीत की रणनीति बनाइए। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति चुनाव में हम लोगों ने हर पहलू पर गौर करके निर्णय लिया है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है। यह राष्ट्रीय मुद्दा है। यह राज्यस्तरीय और महागठबंधन का मुद्दा ही नहीं है। जहां तक जद (यू) की बात है, पार्टी स्वतंत्र निर्णय लेती है।"
उन्होंने पिछले राष्ट्रपति चुनाव का हवाला देते हुए कहा, "पिछली बार भी जब प्रणब मुखर्जी और हामिद अंसारी के खिलाफ भाजपा के कुछ नेताओं ने बयानबाजी की थी तो मैंने उसकी मुखालफत की थी।" नीतीश इससे पहले, राजद प्रमुख लालू प्रसाद के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुए।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल जद (यू) जहां राजग के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की घोषणा की है, वहीं राजद और कांग्रेस संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के पक्ष में हैं। इनकी मजबूरी यह है कि ये राष्ट्रपति पद के लिए उस संगठन से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति को समर्थन नहीं दे सकते, जिसकी विचारधारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार मानी जाती है।