नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक दांव ने विपक्षी खेमे में राष्ट्रपति चुनाव से पहले फूट डाल दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने विधायकों और सांसदों से रामनाथ कोविंद के पक्ष में वोट डालने को कहा है। नीतीश कुमार के घर पर इस बाबत फैसला लिया गया। जेडीयू के इस निर्णय के बाद विपक्ष को करारा झटका लगा है, जो अपना प्रत्याशी उतारने की सोच रहा था। भाजपा ने बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद को अपना प्रत्याशी चुना है। नीतीश कुमार ने निष्पक्ष राज्यपाल के रूप में सेवा करने के लिए कोविंद के कार्यकाल के दौरान काफी प्रशंसा की है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
नीतीश कुमार ने ही सबसे पहले राष्ट्रपति के लिए विपक्षी एकता की वकालत की थी। जेडी (यू ) का रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के ऐलान के साथ ही एनडीए उम्मीदवार की स्थिति और भी मजबूत हो गई है और अब उनके पक्ष में 50 फीसदी से ज्यादा वोट पड़ सकते हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियां गुरुवार को मीटिंग करने वाली हैं जिसमें उम्मीदवार की घोषणा हो सकती है। सूत्रों के अनुसार अब तमिलनाडु की डीएमके भी पशोपेश में हैं और कोविंद को समर्थन देने पर विचार कर सकती है।
रामनाथ कोविंद दलित समुदाय का प्रमुख चेहरा रहे हैं। उन्हें 2015 में बिहार का गवर्नर बनाकर भेजा गया गया। हालांकि जब रामनाथ कोविंद को बिहार भेजा गया था तो उनसे कोई परामर्श नहीं लिया गया था। लेकिन बाद में दोनों के बीच साथ काम करते हुए अच्छा रिश्ता विकसित हो गया था। इसलिए नीतीश के समर्थन की एक वजह यह भी बताई जा रही है। शायद यही वजह थी कि रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा होते ही नीतीश कुमार उनसे मिलने पहुंचे थे। हालांकि सहयोगी आरजेडी ने रामनाथ कोविंद का समर्थन न करने का फैसला किया हुआ है।
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