नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज कहा कि वह महात्मा गांधी के गुजरात स्थित साबरमती आश्रम से अपना प्रचार अभियान शुरू करेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह चुनाव दो दलित प्रत्याशियों का नहीं बल्कि विचारधाराओं का है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा उनके लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कामकाज की शैली पर उठाये गये सवाल के बारे में पूछे जाने पर मीरा ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, जब मैं लोकसभा अध्यक्ष थी तो सभी सांसदों ने मेरे कामकाज की शैली की सराहना की थी। किसी ने भी यह आरोप नहीं लगाया था कि मैं पक्षपातपूर्ण ढंग से काम करती हूं।
सुषमा ने एक ट्वीट कर वह वीडियो जारी किया था जिसमें लोकसभा में उनके एक भाषण के दौरान लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार ने बीच में काफी टोकाटाकी की थी।
मीरा ने कहा कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों, सर्व समावेशी, गरीबी उन्मूलन और जाति व्यवस्था का विनाश जैसे मूल्यों के आधार पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि यह विचार मेरे हृदय के बहुत समीप हैं। विपक्षी दलों ने इसी विचारधारा के आधार पर उन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाने का निर्णय किया है।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने निर्वाचक मण्डल के सभी सदस्यों को एक पत्र लिखकर यह अपील की है कि उनके समक्ष यह अद्वितीय अवसर है कि वे राष्ट्र के इस शीर्ष पद के लिए संविधान के इन मूल्यों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से अंतरात्मा की आवाज पर वोट दें।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह जदयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनको समर्थन देने के बारे में उनके फैसले पर पुनर्वचिार करने की अपील करेंगी, मीरा ने कहा कि उन्होंने दो दिन पहले एक पत्र लिखकर निर्वाचक मण्डल के सभी सदस्यों को पत्र लिखा है। मेरी अपील सभी से है और सभी को इस पर विचार करना चाहिए।
नीतीश ने मीरा कुमार के बजाय राजग के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस ने बिहार की बेटी को राष्ट्रपति चुनाव में हारने के लिए जानबूझाकर उतारा है।
यह पूछे जाने कि जिस तरह कोविंद ने अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश को अपना प्रचार अभियान शुरू करने के लिए चुना, उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार के बजाय साबरमती को क्यों चुना, मीरा कुमार ने कहा, साबरमती आश्रम का कितना महत्व है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। साबरमती के संत ने यही से देश की आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया और इतने बड़े साम्राज्य को उन्होंने उखाड़ फेंका था। ऐसे स्थानों पर जाकर शक्ति प्राप्त होती है।
मीरा कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा करते हुए कहा कि इससे पहले भी चुनाव होते थे। उनमें तथाकथित उच्च जाति के प्रत्याशी खड़े होते थे। किन्तु उनकी जाति की कभी चर्चा नहीं होती थी। किन्तु जब दलित प्रत्याशी खड़े होते हैं तो उनके व्यक्तित्व के सारे पक्ष गौण हो जाते हैं और केवल जाति प्रधान हो जाती है।
उनके खिलाफ लग रहे तमाम आरोपों के बारे में पूछे जाने पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, सारे आरोप बेबुनियाद हैं। ये आरोप हमारी छवि को खराब करने के लिए लगाये जा रहे हैं। सारे बकायों को निबटाया जा चुका है। जहां तक सरकारी बंगला देने की बात है तो यह सरकार ने एक सरकारी संस्था को दिया था। इसमें कानून के सभी प्रावधानों का पालन किया गया था।