Friday, November 22, 2024
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राष्ट्रपति चुनाव में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट दें सांसद और विधायक: मीरा कुमार

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज सांसदों और विधायकों से भावुक अपील की कि वे राष्ट्रपति चुनाव में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट डालें। उन्होंने यह भी कहा कि संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए राष्ट्रपति के पद का इस्तेमाल नहीं कि

Bhasha
Updated on: June 26, 2017 0:02 IST
meira kumar- India TV Hindi
meira kumar

नई दिल्ली: राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज सांसदों और विधायकों से भावुक अपील की कि वे राष्ट्रपति चुनाव में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट डालें। उन्होंने यह भी कहा कि संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए राष्ट्रपति के पद का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

साल 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में वी. वी. गिरि के पक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील से सीख लेते हुए कुमार ने कहा, यह वह पल है जब आपको अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए और देश की दिशा तय करनी चाहिए।

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान राष्ट्रपति के पद को कानून पारित के लिए अंतिम कसौटी के तौर पर मान्यता देता है, इसलिए यह संकीर्ण राजनीतिक हितों की पूर्त के लिए काम नहीं कर सकता।

कुमार ने राष्ट्रपति पद के निर्वाचक मंडल से यह अपील अपना नामांकन-पत्र दायर करने से पहले की है। वह 28 जून को अपना पर्चा दाखिल करेंगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 28 जून ही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें भारत के दो बड़े संघर्षों- भारत को औपनिवेशिक शासन से आजादी दिलाने का संघर्ष और जाति प्रथा से होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई- से विभिन्न तरीके से जुड़े होने का सौभाग्य प्राप्त है। उन्होंने कहा कि जाति प्रथा ने आज भी भारतीय संस्कृति एवं राजव्यवस्था को जकड़ रखा है।

उन्होंने कहा, इन दोनों संघर्षों की प्रकृति ने मेरी संवेदनाओं, मेरे विचारों और मेरे कदमों को काफी प्रभावित किया। कुमार ने कहा कि अपने सार्वजनिक जीवन के दौरान वह भारत के संस्थापकों की ओर से पेश किए गए उदाहरणों से प्रेरित रही हैं, भले ही उनके राजनीतिक जुड़ाव किसी से भी रहे हों। उन्होंने कहा, मतभेदों के बावजूद मैंने पाया है कि जब समावेश के मूल्यों के संरक्षण और सामाजिक न्याय की जरूरत की बातें आती हैं, तो हम सभी का लक्ष्य एक ही होता है।

कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ कहे जाने वाले संविधान के संरक्षण एवं उसकी रक्षा की शपथ लेता है। उन्होंने कहा, यह संविधान ही है जिसे मैंने और अनगिनत अन्य लोगों ने अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ बनाने के लिए इस्तेमाल किया है। इसने संकट और भ्रम के समय में हमारा मार्गदर्शन किया है और हमारा उत्थान किया है।

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