नयी दिल्ली: पुडुचेरी में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार गिर जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की प्रशासक से 22 फरवरी को मिली रिपोर्ट के बाद यह फैसला किया गया। इसमें कहा गया कि रिपोर्ट पर विचार करने और उनसे मिली अन्य सूचनाओं के बाद राष्ट्रपति इस बात को लेकर संतुष्ट थे कि ऐसी स्थिति बन गई है जब केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में प्रशासन केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम 1963 (1963 का 20) के प्रावधानों के मुताबिक नहीं चलाया जा सकता।
राष्ट्रपति ने केंद्र शासित प्रदेश की सरकार अधिनियम, 1963 (1963 का 20) के विभिन्न प्रावधानों को भी निलंबित कर दिया। इस तरह पुडुचेरी में केंद्रीय शासन लागू हो गया। अधिसूचना में यह भी कहा गया कि केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे वी नारायणसामी ने सोमवार को विस्वास मत से पहले इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के कई विधायकों और द्रमुक के एक विधायक के हाल में इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई थी।
पूर्व मुख्मंत्री ने उनकी सरकार गिराने का आरोप भारतीय जनता पार्टी और एआईएडीएमके पर लगाया है। वी नारायणसामी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने एआईएडीएमके के साथ मिलकर गैर लोकतांत्रिक तरीके से उनकी सरकार को गिराने का षडयंत्र रचा है।
पुदुचेरी में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा की कुल 33 सीटें हैं। इनमें से तीन सदस्य मनोनीत होते हैं। कांग्रेस के पांच विधायकों और सहयोगी डीएमके के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया था। वहीं, एक विधायक को आयोग्य ठहरा दिया गया।
ऐसे में अब विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 26 रह गई। इस स्थिति में अल्पमत में आई नारायणसामी सरकार को 14 विधायकों का समर्थन चाहिए था, लेकिन सरकार अपने नंबर पूरे नहीं कर सकी और गिर गई।