श्रीगनर: जम्मू-कश्मीर में 6 महीने का राज्यपाल शासन पूरा होने के बाद बुधवार को मध्यरात्रि से राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा। बुधवार को जारी एक सरकारी आदेश में यह बात कही गई। महबूबा मुफ्ती नीत गठबंधन सरकार से जून में भाजपा की समर्थन वापसी के बाद जम्मू-मश्मीर में राजनीतिक संकट बना हुआ है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक अधिघोषणा पर हस्ताक्षर कर वहां केन्द्रीय शासन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इससे पहले साल 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था।
बता दें कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के साथ ही बुधवार से सभी विधायी और वित्तीय अधिकार संसद के पास चले गए। राज्यपाल को राज्य में किसी भी बड़े नीतिगत फैसले के लिए पहले केंद्र से अनुमति लेनी होगी। वह अपनी मर्जी से कोई बड़ा फैसला नहीं ले पाएंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने वाली वहां के राज्यपाल सत्य पाल मलिक की रिपोर्ट पर सोमवार को फैसला किया था। राष्ट्रपति शासन की अधिघोषणा के बाद संसद राज्य की विधायिका की शक्तियों का इस्तेमाल करेगी या उसके प्राधिकार के तहत इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान है। जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत वहां छह माह का राज्यपाल शासन अनिवार्य है। इसके तहत विधायिका की तमाम शक्तियां राज्यपाल के पास होती हैं।