नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी में हो रही कलह का एक और वाक्या सामने आया है, आप नेता प्रशांत भूषण ने पार्टी से इस्तीफ़ा देने का इशारा किया है। प्रशांत भूषण ने केजरीवाल के नाम लिखे खुले खत में केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि पिछले साल वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से बात करने को बेकरार थे। ताकि उन्हें दिल्ली में दोबारा आम आदमी पार्टी सरकार को समर्थन देने के लिए मनाया जा सके। इसके लिए आपने निखिल डे से भी बात की थी, लेकिन निखिल ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था।
प्रशांत ने चिट्ठी में केजरीवाल को संबोधित करते हुए कहा है कि उन्होंने मिलकर जो सपना देखा था, वह केवल दिल्ली में 5 साल सरकार चलाने से पूरा नहीं होगा। उन्होंने ऐसी आशंका जताई है कि अगर अरविंद का बर्ताव और रवैया ऐसा ही रहा, तो इस सपने को एक दु:स्वप्न में बदलने में देर नहीं लगेगी।
"आपको ये समझना होगा कि हां में हां मिलाने वाले लोगों के साथ आप बहुत दूर नहीं जा पाएंगे। हमारी पार्टी बहुत से आदर्शों के साथ बनाई गई थी, आप और आपकी मंडली ने उन आदर्शों के साथ धोखा किया। आम आदमी पार्टी में भी अब सुप्रीमो और हाई कमान की संस्कृति आ चुकी है।"
"दिल्ली में जीत के बाद आपको अपनी सबसे बेहतरीन खूबियां दिखानी चाहिए थीं, लेकिन अफ़सोस है कि जीत के बाद आपने सबसे ख़राब छवि पेश की। आप पर सवाल उठाने वालों को पार्टी से निकाल देना स्टालिन की याद दिलाता है। आपने पार्टी के साथ जो किया है उसके लिए ईश्वर और इतिहास आपको नहीं भूलेगा।"
प्रशांत भूषण ने अपनी चिट्ठी का अंत 'गुड बाई एंड गुड लक' लिखकर किया है।
प्रशांत भूषण ने पार्टी छोड़ने के बारे में औपचारिक तौर पर चिट्ठी में कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन इस खुले खत को और खासकर इसके अंत में लिखी लाइन 'गुड बाई एंड गुड लक' का पार्टी से उनके इस्तीफे के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रशांत ने लिखा कि आपने हमें जवाब देने का मौका तक नहीं दिया और बिना किसी चर्चा के वोटिंग करवा ली गई। उन्होंने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय परिषद में ज्यादातर ऐसे लोग मौजूद थे, जो परिषद के सदस्य ही नहीं थे। उन्होंने स्वतंत्र वीडियोग्राफी न करवाने, लोकपाल को मीटिंग में आने की इजाजत नहीं देने और अलोकतांत्रिक तरीके से उन्हें व अन्य साथियों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल देने के फैसले पर भी दु:ख जताया। बाद में पार्टी द्वारा जारी किए गए अरविंद के भाषण के वीडियो को भी उन्होंने एडिटेड करार दिया।
प्रशांत ने बताया कि किस तरह लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में एक बार फिर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिशें शुरू होने के बाद उनके अरविंद से मतभेद शुरू हुए और कई बार कहने के बावजूद अरविंद ने उनकी बात नहीं मानी। यहां तक कि पीएसी और एनई की मीटिंग में लिए गए फैसलों को भी केजरीवाल ने पलट दिया गया और अपनी मनमर्जी चलाई।