नागपुर: आज दिनभर पूरे देश की निगाहें नागपुर पर लगी रहीं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर में संघ के मुख्यालय में थे। उन्होंने आरएसएस के स्वंय सेवकों को राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति का मतलब समझाया। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम भारत का मूलमंत्र रहा है। उन्होंने ये बताने की कोशिश की कि धर्म के आधार पर राष्ट्र की परिभाषा गलत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की परिभाषा भाषा, जाति या धर्म के आधार पर सही नहीं हो सकती। इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणब मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में बुलाने की बजह बताई। उन्होंने प्रणब मुखर्जी को न्योता स्वीकार करने के लिए और कार्यकर्म में आने के लिए धन्यवाद दिया। मोहन भागवत ने कहा कि इस तरह की चर्चा में कोई दम नहीं है कि प्रणब मुखर्जी को क्यों बुलाया या प्रणब मुखर्जी क्यों आए।
प्रणब दा के भाषण की 10 बड़ी बातें-
1. राष्ट्र, राष्ट्रीयता, देशभक्ति एक-दूसरे के बिना अधूरे
2. देशभक्ति का मतलब देश के प्रति आस्था और निष्ठा
3. हमारी एकता धर्म, रंग की विविधता को बचाती है
हर विविधता के बीच भारतीयता हमारी पहचान है
4. सहिष्णुता हिंदुस्तान की ताकत भी और पहचान भी
5. नफरत और असहिष्णुता से देश को ही नुकसान
6. भारत के दरवाजे सबके लिए पहले से खुले हैं
7. हम अर्थव्यवस्था में आगे और हैप्पीनेस इंडेक्स में पीछे हैं
8. जब प्रजा खुश होती है तभी राजा खुश होता है
9. एक धर्म, एक देश, एक रंग भारत की पहचान नहीं
10. कोई भी हमलावर भारत को नुकसान नहीं पहुंचा पाया
प्रणब मुखर्जी ने डॉ. हेडगेवार को बताया भारत माता का महान सपूत
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के घर गए। यहां उन्होंने डॉ हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। प्रणब मुखर्जी ने डॉ हेडगेवार के घर को भी देखा। प्रणब मुखर्जी ने विजिटर्स बुक पर डॉ हेडगेवार के बारे में कमेंट लिखा। प्रणब मुखर्जी ने विजिटर्स बुक में लिखा कि आज वो भारत माता के महान सपूत को श्रद्धांजलि देने आए हैं। इससे पहले घर प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणब मुखर्जी का स्वागत किया। भागवत ने प्रणब मुखर्जी को एक बुके भेंट किया।
प्रणब मुखर्जी आज दिन भर संघ के कार्यकर्मों में रहे। RSS के हैडक्वार्टर में सर संघचालक मोहन भागवत के साथ मंच पर बैठे, संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के पैतृक घर गए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने डॉ हेडगेवार को भारत माता का महान सपूत बताया और इसके बाद संघ के मुख्यालय में शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल हुए....ये सब देखकर कांग्रेस के नेता दिनभर परेशान रहे। सबके मन में एक ही सवाल था कि RSS के मंच से प्रणब मुखर्जी क्या कहेंगे चूंकि प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में डॉ हेडगेवार को भारत मां का महान सपूत बता दिया था इसलिए कांग्रेस के नेताओं की टेंशन और बढ़ गईं। हालांकि प्रणब मुखर्जी से पहले मोहन भागवत बोले और उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत ही इस बात से की कि प्रणब मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में क्यों बुलाया। प्रणब मुखर्जी ने न्योता मंजूर क्यों किया इस पर चर्चा बेकार है क्योंकि प्रणव मुखर्जी प्रणव मुखर्जी ही रहेंगे और संघ भी संघ ही रहेगा। अलग अलग विचार के लोगों का मिलना तो अच्छी बात है इसलिए इसको ज्यादा महात्व देने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि विविधता से एकता उपजती है....यही हमारी परंपरा है....यही भारत का दर्शन है।