नई दिल्ली: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की गिनती देश की राजनीति के बड़े रणनीतिकारों में होती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी के तौर पर काम करते हुए अमित शाह ने पारीट को बड़ी जीत दिलाई। इसी का नतीजा रहा कि उन्हें पार्टी में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली। देश के 18 राज्यों में बीजेपी और सहयोगियों की सरकार बनवाने के साथ-साथ उन्होंने भाजपा को 10 करोड़ सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने की भी कामयाबी दिलाई, इसके पीछे उनकी रणनीति और मेहनत काम करती है।
अमित शाह का जन्म 1964 में मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में हुआ। वे 16 साल की उम्र तक अपने पैतृक गांव मान्स में ही रहे और वहां स्कूली शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद उनका परिवार अहमदाबाद चला आया। अहमदाबाद में वे आरएसएस की राष्ट्रवादी भावना से प्रभावित हुए संघ के एक सक्रिय सदस्य बन गए।
आरएसएस में शामिल होने के बाद अमित शाह ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के लिए चार साल तक काम किया। उसी दौरान बीजेपी का गठन हुआ और वह संघ की राजनीतिक शाखा के तौर पर उभरी। 1984-85 में अमित शाह पारिटी के सदस्य बने। अहमदाबाद के नारायणपुर वार्ड में पोल एजेंट का पहला दायित्वा सौंपा गया, बाद में वह उसी वार्ड के सचिव बनाए गए। इस तरह उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। कई सफल जिम्मेदारियां निभाने के बाद उन्हें बीजेपी राज्य सचिव और उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई।
गुजरात में भाजपा 1995 में पहली बार सत्ता में आई लेकिन 1997 में सरकार गिर गई। किन्तु उस छोटी से अवधि में ही अमित शाह ने ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के रूप में बेहतर काम किया। बीजेपी सरकार गिरने के बाद उपचुनाव में पहली बार अमित शाह ने सरखेज से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतने में सफल रहे|
वर्ष 2002 में विधानसभा चुनावों से पूर्व अमित शाह को ’गौरव यात्रा’ का सह-संयोजक बनाया गया। जिसके बाद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी सत्ता में आई। अमित शाह को गृह, परिवहन और निषेध जैसे अहम मंत्रालयों का दायित्व सौंपा गया तथा गुजरात के गृह मंत्री के रूप में उनके काम को बहुत सराहा गया। समय के साथ-साथ उनकी लोकप्रियता और लोगों से जुड़ाव बढ़ता गया।
2014 में ही बेहद अहम लोकसभा चुनाव हुए और तभी से उनका उत्तर प्रदेश से रिश्ता शुरू हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे सियासी तौर पर बेहद जटिल माने जाने वाले राज्य का काम सौंपा। वह भी इसे समझ रहे थे, इसलिए उन्होंने यूपी की यात्राएं शुरू कीं। नतीजा इतना शानदार रहा कि बीजेपी ने यूपी में 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की। इस शानदार जीत के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।