नई दिल्ली: फेक न्यूज मामले में एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गईं हैं। केंद्र सरकार ने गलत खबर देने या उसका प्रचार करने वाले पत्रकार की अधिमान्यता स्थायी रूप से रद्द करने की बात कही थी। जिसके बाद कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया बाद में पीएमओ ने इसपर दखल देते हुए इस पूरे विवाद को प्रेस काउंसिल पर छोड़ देने की बात कही है। साथ ही पीएमओ ने सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय से इस संदर्भ में जारी नोटिफिकेशन वापस लेने की बात कही है।
इससे पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि पहली बार फेक न्यूज के प्रकाशित या प्रसारित करने की पुष्टि होने पर पत्रकार की सरकारी मान्यता छह महीने के लिए के लिए निलंबित की जा सकती है। दूसरी बार ऐसा हुआ तो मान्यता एक साल के लिए रद्द की जा सकता है। तीसरी बार ऐसा होने पर मान्यता हमेशा के लिए रद्द की जा सकती है। जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि ये कैसे तय होगा कि कौन सी खबर सही है और कौन सी झूठी। कांग्रेस की तरफ से सीनियर लीडर अहमद पटेल कहा था कि यह कैसे पता चलेगा कि खबर फेक है या सही? मंत्रालय का कहना था कि प्रिंट मीडिया में फेक न्यूज की शिकायत मिलने पर इसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के पास भेजा जाएगा।
इसके साथ ही अगर यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित है तो मामला न्यूज एंड ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) को भेजा जाएगा। ये दोनों एजेंसी 15 दिन में जांच करके उसके फेक या सही होने का फैसला करेंगे। जांच के दौरान संबंधित पत्रकार की मान्यता निलंबित रहेगी। कांग्रेस के विरोध और बढ़ते विवाद के चलते खुद पीएमओं ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए नोटिफिकेशन वापल लेने का आदेश सुना दिया है।