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किसानों से बात करें प्रधानमंत्री और तीनों कानूनों को वापस लें: राहुल गांधी

कांग्रेस ने किसानों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में सोमवार को केंद्र सरकार एवं भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 28, 2020 20:39 IST
PM should talk to farmers, must withdraw all three farm laws, tweets Rahul Gandhi- India TV Hindi
Image Source : PTI सरकार ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को वार्ता के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है। 

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने किसानों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में सोमवार को केंद्र सरकार एवं भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘किसान की आत्मनिर्भरता के बिना देश कभी आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। कृषि विरोधी क़ानून वापस लो। किसान बचाओ, देश बचाओ!’’ 

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कांग्रेस के स्थापना दिवस पर आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए। यह कहना एकदम गलत है कि यह (आंदोलन) राजनीतिक साजिश है। जिस तरह के शब्द ये लोग किसानों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, वो पाप है। किसान का बेटा सीमा पर खड़ा है। किसान देश का अन्नदाता है।’’ 

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘सरकार किसानों के प्रति जवाबदेह है। किसानों से बातचीत करनी चाहिए। उनकी आवाज सुननी चाहिए और कानूनों को वापस लेना चाहिए।’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी से आज कांग्रेस के स्थापना दिवस पर इस देश के करोड़ों देशवासियों और कांग्रेसजनों की ओर से हम कहेंगे कि आप राजहठ छोडिए, ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह का व्यवहार छोड़िए, प्रधानमंत्री जी अंग्रेजों जैसा व्यवहार इस देश की जनता से करना बंद करिए और इस देश के किसानों से बात करिए।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘45 से ज्यादा किसान पिछले 33 दिनों के अंदर अपनी कुर्बानी दे चुके हैं। प्रधानमंत्री से हमारी मांग है कि किसानों से सीधा वार्तालाप करें और तीनों काले कानून वापस लें।’’ इस बीच सरकार ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अगले दौर की वार्ता के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है। सरकार द्वारा सोमवार को उठाए गये इस कदम का उद्देश्य तीन नये कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध का एक तार्किक समाधान निकालना है।

किसान संगठनों ने सितंबर में लागू किये गये नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीके सहित एजेंडे पर मंगलवार, 29 दिसंबर, को वार्ता करने का पिछले हफ्ते एक प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें आमंत्रित किया है। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को लिखे एक पत्र के जरिए उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में बुधवार, 30 दिसंबर, दोपहर दो बजे वार्ता करने का न्योता दिया है। 

पिछली औपचारिक बैठक पांच दिसंबर को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से ‘‘हां’’ या ‘‘ना’’ में स्पष्ट रूप से जवाब देने को कहा था। वार्ता बहाल करने के लिए किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार भी एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।’’

बैठक के लिए किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एजेंडे के बारे में सचिव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों, (फसलों की) एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खरीद प्रणाली और विद्युत संशोधन विधेयक तथा दिल्ली/एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अध्यादेश पर विस्तृत चर्चा होगी। हालांकि, सरकार के पत्र में किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एक प्रमुख शर्त का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें किसानों ने नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीकों पर वार्ता किये जाने की मांग की थी।

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