नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बयान दिए। सबसे पहले तो उन्होंने आज के दौर में संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर ही कई कड़े सवाल पूछ डाले। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है, संयुक्त राष्ट्र कहां है? उन्होंने पूछा कि संयुक्त राष्ट्र अपने गठन के बाद से कितने युद्ध रोकने में कामयाब रहा है? प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि भारत जैसे देश को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से कब तक अलग रखा जाएगा?
‘कोरोना पर संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया?’
कोरोना काल में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बड़े सवाल उठाए। एक तरह से संयुक्त राष्ट्र की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर ही सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा, ' पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रेस्पॉन्स कहां है? वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?'
UN के गठन के बाद हुई जंगों पर बोले मोदी
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं। अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे।’