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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण यहां पढ़िए

विकास के प्रति विरोध का कैसा भाव है। कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर रखा है और उन सबका चेहरा निखर कर सजधज के बाहर आया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 21, 2018 0:13 IST
pm modi speech on no confidence motion- India TV Hindi
Image Source : PTI pm modi speech on no confidence motion

नई दिल्ली: अध्यक्ष महोदया आपने धैर्य के साथ आपने सदन का संचालन किया है। ये अविश्वास प्रस्ताव हमारे लोकतंत्र की मजबूती का परिचायक है। भले टीडीपी के माध्यम से प्रस्ताव आया है लेकिन उनके साथ जुड़े कुछ सदस्यों ने समर्थन किया है और एक बड़े वर्ग ने इसका विरोध किया है। मैं भी आग्रह करूंगा कि हम सब इस प्रस्ताव को खारिज करें और देश में 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत के साथ बनी सरकार ने जिस गति से काम किया है उसमें विश्वास प्रकट करें।

मैं समझता हूं ये अच्छा मौका है कि हमें अपनी बात कहने का मौका तो मिल रहा है। लेकिन यह कैसी नकारात्मकता है। विकास के प्रति विरोध का कैसा भाव है। कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर रखा है और उन सबका चेहरा निखर कर सजधज के बाहर आया है। कईयों के मन में तो है कि अविश्वास प्रस्ताव आया क्यों? न तो संख्या बल है और न ऐसा कोई वक्त.. सरकार को गिराने का इतना उतावलापन था फिर बाद में इसे 48 घंटे बाद लाने की बात होने लगी..जल्दी जर्चा नहीं होगी तो आसमान फट जाएगा क्या.. भूकंप आ जाएगा क्या... इसको टालने की कोशिश जो हो रही थी वो उनकी कठिनाई बताती है...

न मांझी न रहबर न हक में हवाएं

है कश्ती भी जर्जर ये कैसा सफर है

इन्हें अहंकार इस तरह की प्रवृति की ओर खींचकर ले जा रहा है.. मोदी हटाओ... मैं तो हैरान हूं कि अभी तो चर्चा प्रारंभ हुई थी.. मतदान नहीं हुआ था.. लेकिन इनका यहां तक पहुंचने का उत्साह है वो उठो.. उठो कह रहे थे...हमें न कोई उठा सकता है , न बिठा सकता है.. हमें तो सवा सौ करोड़ जनता उठा-बिठा सकती है.. इतनी जल्दबाजी क्या है.. ये अहंकार ही है जो कहता है कि हम खड़े होंगे तो पीएम 15 मिनट खड़े हो सकते.. मैं खड़ा हूं और जो काम किया है उसपर अड़ा भी हूं... हमारी सोच अलग है।

 लोकतंत्र में जनता सबसे ऊपर
ये अहंकार ही तो है जो कि डंके की चोट पर यह कहता है कि 2019 में पावर में आने नहीं देंगे.. जो लोगों पर विश्वास नहीं करते उनके मुंह से ऐसे शब्द निकलते हैं... लोकतंत्र में जनता सबसे ऊपर है.. सबकुछ वही तय करेगी। अगर 2019 में कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनती है तो मैं बनूंगा पीएम.. लेकिन दूसरों की जो ख्वाहिश है उनका क्या होगा? कन्फ्यूजन है.. ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है .. ये कांग्रेस और उनके कथित साथियों का टेस्ट है... और दल भी साथ दें इसके लिए ट्रायल चल रहा है.. इस प्रस्ताव के बहाने अपने कुनबे को जो जमान की कोशिश की है उसकी चिंता है।

अपने संभावित साथियों पर भरोसा तो कीजिए
कांग्रेस के साथियों से सवाल है कि जब अपने संभावित साथियों की परीक्षा लेनी है तो अविश्वास प्रस्ताव का बहाना न बनाए..अपने संभावित साथियों पर भरोसा तो कीजिए। हम यहां इसलिए हैं कि हमारे पास संख्याबल है.. सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है.. आप अपने स्वार्थसिद्धी के लिए देशवासियों पर अविश्वास न करें। बिना तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति किए सबका साथ सबका विकास मंत्र पर हम काम करते रहे। जब 18 हजार गांवों में बिजली पहुंची.. ये काम पहले की सरकारें भी कर सकती थी लेकिन 18 हजार में से 15 हजार गांव पूर्वी भारत के और उनमें से 5 हजार गांव पूरी तरह नॉर्थ-ईस्ट के हैं.. आप कल्पना कर सकते हैं कि इन इलाकों में दलित, आदिवासी का बड़ा तबका रहता है.. लेकिन पिछली सरकारों का इस आबादी पर विश्वास नहीं था। पूरे नॉर्थ-ईस्ट को अलग-थलग कर लिया.. बैंक के दरवाजे गरीबों के लिए नहीं खुले.. लगभग 32 करोड़ जनधन खाते खोलने का काम हमारी सरकार ने किया..80 हजार करोड़ रुपया गरीबों ने जमा किया..8 करोड़ शौचालय बनाया.. उज्जवला योजना से साढ़े चार करोड़ गरीब माता-बहनों को धुएं से मुक्ति मिली।

 किसानों की आय 2022 तक दोगुना करेंगे
 आनेवाले दिनों में आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख की बीमा का जिम्मा सरकार ने लिया है.. हम किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं.. लेकिन इनको विश्वास नहीं है.. 80 हजार रुपये की अटकी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने का काम चल रहा है.. 15 करोड़ किसानों को स्वायल कार्ड मुहैया कराया। यूरिया में नीमकोटिन का काम किया जिसका लाभ किसानों को हुआ है.. इसप भी विश्वास नहीं है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ पहुंचा। एलईडी बल्ब जो 300-400 में बिकता था अब 45 रुपये में मिलता है। 2016-17 में किसानों ने 1300 करोड़ बीमा प्रीमियम दिया सहायता के रूप में 5500 करोड़ रूपये दिया गया। उनके समय में मोबाइल फोन मैनुफैचरिंग कंपनियां दो थी अब 120 हैं.. हमने मुद्रा योजना से 13 करोड़ नौजवानों को लोन दिया है। स्टार्टअप से युवाओं को लाभ पहुंचा। डिजिटल ट्रांजैक्शन की बात पर तंज कसते थे लेकिन जनता ने करारा जवाब दिया.. भीम एप से एक महीने में 41 हजार करोड़ का ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। इईज ऑफ डूइंग बिजनेस में काफी सुधार हुआ है। 20 करोड़ लोगों को एक रुपये में बीमा मिला। 

कालेधन के खिलाफ हमारी मुहिम जारी रहेगी
​5 मिलियन डॉलर की इकोनॉमी की तरफ भारत बढ़ा है.. कालेधन के खिलाफ हमारी मुहिम जारी रहेगी.. हमने टेक्नॉलॉजी के माध्यम से 90 हजार करोड़ रुपये बचाने का काम किया है.. ढाई लाख से ज्यादा शेल कंपनियों पर ताले लगा दिए..। कई और कंपनियां नजर में हैं जिनपर ताला लगने की संभावना है। वो कौन लोग थे जो इनको संरक्षण दिया.. बेनामी संपत्ति का कानून बनाया.. 4 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। जो खुद पर विश्वास नहीं कर सकते वो हमपर कैसे विश्वास कर सकते। जातक पक्षी के मुंह में बारिश की बूंद सीधे नहीं गिरती तो इसमें बादल का क्या दोष।

कांग्रेस के लोग अविश्वास से घिरे हुए हैं.
कांग्रेस के लोग अविश्वास से घिरे हुए हैं.. स्वच्छ भारत, रिजर्व बैंक, चीफ जस्टिस, अर्थव्यवस्था की जानकारी देनेवाली संस्थाओं पर विश्वास नहीं.. चुनाव आयोगी और ईवीएम पर विश्वास नहीं.. क्योंकि अपने पर विश्वास नहीं... जब प्रक्रियाओं को प्रभावित करनेवाली ताकतों पर प्रहार किया गया, भ्रष्टाचार पर प्रहार किया गया तो उनको भी तकलीफ होने लगी। आजकल शिवभक्ति की बात होने लगी है.. शिव आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में आप फिर से अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। 

 हर जगह बचकाना हरकत करते रहेंगे क्या? 
डोकलाम की चर्चा की गई.. जिस विषय की जानकारी नहीं है उसपर बोलने से बात उलटी पड़ जाती है.. खासतौर से देश का ज्यादा नुकसान होता है.. जब पूरा देश एकजुट होकर इसपर विचार कर रहा था तब चीन के राजदूत से जाकर बात करते हैं.. फिर कहने लगे मिले.. नहीं मिले। कांग्रेस प्रवक्ता ने तो साफ मना कर दिया था लेकिन बाद में मानने के लिए मजबूर होना पड़ा कि मुलाकात हुई थी। हर जगह बचकाना हरकत करते रहेंगे क्या?  

राफेल समझौता दो जिम्मेवार सरकारों के बीच पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ
यहां राफेल  का जिक्र किया गया.. क्या सत्य को इस तरह से रौंदा जाता है.. बार-बार गुमराह करने की कोशिश की जाती है.. कितना दुखद है कि सदन में लगाए गए आरोप पर दूसरे देश को बयान देना पड़ा.. जो लोग इतने साल सत्ता में रहे हैं उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।  यह सत्य का गला घोंटने की कोशिश है... यह सुधरने का मौका है.. यह राजनीतिक स्तर उचित नहीं है.. देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं यह समझौता दो जिम्मेवार सरकारों के बीच पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर बचकाना हरकतों से बचा जाए। देश के सेनाध्यक्ष के लिए इस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया जाएगा.. आज भी हिंदुस्तान का हर सिपाही जो सीमा पर होगा इतनी चोट पहुंची होगी... सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक बोलें.. गालियां देनी है तो मोदी तैयार है लेकिन सेना को गाली मत दीजिए। 

अविश्वास कांग्रेस की फितरत है
पीढ़ी दर पीढी चला आ रहा यह अविश्वास कांग्रेस की फितरत है.. कांग्रेस ने अस्थिरता फैलाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग किया है। हमने सुना कि बयान दिया गया कि कौन कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं है.. 1999 में दावा किया गया था कि हमारे पास 272 की संख्या है... और अटल जी की सरकार को एक वोट से गिरा दिया। कांग्रेस और उनके साथियों के बहुमत का दावा खोखला निकला.. 13 महीने में देश को चुनाव में धकेल है.. राजनीतिक स्थिरता द्वारा अपने स्वार्थ की सिद्धी करना यह कांग्रेस की फितरत है.. चौधरी चरण सिंह और चंद्रशेखर जी के साथ भी धोखे का खेल हुआ.. 1996 में भी यही हुआ.. देवगौड़ा जी.. गुजराल जी के साथ भी यही हुआ। 

आंखों की हरकतों को आज टीवी पर पूरा देश देख रहा है
वोट के बदले नोट की बात कौन नहीं जानता है..यहां एकबात और कही गई कि प्रधानमंत्री आंख से आंख नहीं मिलाते... कहिए आप तो नामदार हैं.. एक गरीब परिवार.. पिछड़ी जाति में पैदा हुआ.. मैं कैसे आपकी आंख में आंख कैसे डाल सकता हूं... हम तो कामदार हैं हम नामदार की आंख में कैसे आंख डाल सकते हैं। आंखों की बात करनेवालों की आंखों की हरकतों को आज टीवी पर पूरा देश देख रहा है.. ये आंखों का खेल.. । सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर प्रणब मुखर्जी ने आंख में आंख डालने की कोशिश की थी उनका क्या किया.. कैसे उनको ठोकर मारकर निकाला गया।

सत्य को बार-बार कुचला गया
सत्य को बार-बार कुचला गया.. पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखने के फैसले पर कांग्रेस की तरफ से हमेशा सवाल उठाए जाते हैं.. अपने परिवार के बाहर भी कांग्रेस का इतिहास है.. जब यूपीए सरकार थी पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखने का फैसला आपकी सरकार ने लिया था। कहा गया कि आप चौकीदार नहीं भागीदार हैं... हम चौकीदार और भागीदार भी हैं लेकिन हम आपकी तरह सौदागर और ठेकेदार नहीं हैं.. हम भागीदार हैं देश के विकास के सपनों के भागीदार हैं... लोगों के दुख को बांटने के हम भागीदार हैं.. हम चौकीदार भी हैं भागीदार भी हैं हमें गर्व है इस बात का।

अफवाहें उड़ाई जाती हैं
कांग्रेस का एक ही मंत्र है यहां हम ही रहेंगे नहीं तो देश में अस्थिरता रहेगी। अफवाहें उड़ाई जाती हैं। झूठ का प्रहार किया जाता है। आरक्षण खत्म हो जाएगा.. दलितों का अधिकार छिन जाएगा.. दलितों, पीड़ितो, वंचितों को ब्लैकमेल कर राजनीति करते रहे.. यह वजह है कि देश का बड़ा तबका विकास से वंचित रह गया है। धारा 356 का बार-बार दुरुपयोग करनेवाले हमको राजनीति का पाठ पढ़ाने लगे हैं।

कांग्रेस पार्टी जमीन से कट चुकी है
​देश के सपने आकांक्षाओं के सामने जो भी आया उसके साथ यही किया गया.. जिनके अंदर इतना अहंकार भरा हो वो हमें कैसे स्वीकार कर सकते हैं.. कांग्रेस पार्टी जमीन से कट चुकी है.. वो तो डूब चुके हैं लेकिन उनके साथ जानेवालों का भी यह हाल होनेवाले हैं... 18 साल पहले अटली जी की सरकार ने तीन राज्यों का गठन किया.. कोई खींचतान नहीं.. न कोई झगड़ा.. सबके रास्ते निकाले और तीनों राज्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं.. लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए राज्यसभा के दरवाजा बंद करके आपने आंध्र और तेलंगाना का विभाजन किया.. उस समय मैंने कहा था तेलुगू हमारी मां है उसकी स्रप्रीट टूटना नहीं चाहिए.. इनलोगों ने मां को मार दिया और बच्चे को बचा लिया... लेकिन जनता समझदार थी दोनों जगह कुछ नहीं मिला। 

चंद्रबाबू और केसीआर के बीच बंटवारे को लेकर झगड़े होते थे.. टीडीपी की पूरी ताकत तेलंगाना के खिलाफ लगी रहती थी.. टीआरएस ने अपना पूरा ध्यान विकास पर केंद्रित रखा... एनडीए की सरकार ने सुनिश्चित किया कि उनके विकास में कमी नहीं आएगी। टीडीपी ने अपनी विफलताओं को छिपाने लिए यूटर्न लिया। मैंने चंद्रबाबू से कहा था कि आप वाईएसआर के जाल में फंस रहे हो। मैं आंध्र की जनता को विश्वास दिलाना चाहता हूं.. केंद्र सरकार आंध्र की जनता के कल्याण में कभी पीछे नहीं रहेगी। हम उनके विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। 

वन रैंक वन पेंशन वो कौन थे जिन्होंने इतने सालों तक लटकाकर रखा था।.. आपके काम का तरीका लटकाने का रहा है.. सुप्रीम कोर्ट ने कालेधन पर एसआईटी बनाने को कहा था.. किसने लटका कर रखा था...जीएसटी को किसने लटकाकर रखा...

एनपीए का जंजाल बैंकों के लिए लैंडमाइन की तरह हो गया
देश के लिए यह जानकारी अहम है.. हम 2014 में याए कई लोगों ने कहा इकोनाम पर व्हाइट पेपर लाया जाए.. जब हम बैठे तो एक के बाद एक ऐसी जानकारी आई.. अर्थव्यवस्था की ऐसी स्थिति बनाकर रख दी थी... एनपीए की कहनी की शुरुआती 2008में हुई थी.. 2009 में चुनाव था.. कांग्रेस को लगा जितनी बैंक खाली करना है कर लो.. बैंकों का अंडरग्राउंड लूट 2009 से 2014 तक चलता रहा.. एक आंकड़ा इस सदन के लोगों को भी चौंका देगा.. आजादी के 60 साल में हमारे देश के बैंकों ने लोन के रूप में जो राशि दी थी वह 18 लाख करोड़ थी लेकिन 2008 से 2014 ये राशि 18 लाख से 52 लाख करोड़ हो गई। जो 60 साल में हुआ था वह 6 साल में दोगुना हो गया। एक लोन खत्म नहीं हुआ कि दूसरा लोन दिया। जिसके चलते देश के बैंक एनपीए के जंजाल में फंस गए। एनपीए का जंजाल बैंकों के लिए लैंडमाइन की तरह हो गया।

हमने बैंकों के एनपीए में सुधार के लिए कई नीतिगत फैसले किए। हमारी सरकार ने इन्सोल्वेंसी और डिफॉल्टर के लिए कई फैसले लिए। बैंक का कर्ज न चुकानेवालों के लिए अब देश के कानून से बचना और मुश्किल हो गया है। 

मेट्रो का विस्तार हो इसका काम हो रहा है.. हर पंचायत तक इंटरनेट पहुंचाने की कोशिश हो रही है। पहले की सरकार के मुकाबले हमारे काम की गति काफी तेज है... कर्मचारी वही है, ब्यूरोक्रोसी वही है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति ऐसी है कि हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं...

रोजगार को लेकर भ्रम फैलाए जा रहे हैं.. आधारहीन बातें की जा रही हैं... ईपीएफ में सितंबर 2017 से मई 2018 तक लगभग 45 लाख नए सब्स्क्राइबर पहुंचे हैं। हर महीने रोजगार का डाटा सार्वजनिक करेंगे। फॉर्मल सेक्टर में पूरे साल में 70 से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं। 

जिन लोगों ने चर्चा में भाग लिया उनका आभार व्यक्त करता हूं। 2024 में अविश्वास प्रस्ताव लाने का आग्रह कर इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करता हूं। 

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