Saturday, November 16, 2024
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पीएम मोदी की बैठक को लेकर ममता जी का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक: रविशंकर प्रसाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना संकट को लेकर जिलाधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 20, 2021 15:56 IST
Ravi Shankar Prasad, Narendra Modi, Mamata Banerjee, Narendra Modi Coronavirus- India TV Hindi
Image Source : PTI पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना संकट को लेकर जिलाधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया है। प्रसाद ने कहा है कि पीएम मोदी की बैठक को लेकर ममता का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि ममता ने पूरी मीटिंग को एक तरह से डीरेल करने की कोशिश की है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग के बाद ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि उन्हें दवा, वैक्सीन और अन्य मुद्दों पर तमाम बातें रखनी थी, लेकिन उन्हें बोलने ही नहीं दिया गया।

‘प्रधानमंत्री जी की सोच बहुत साफ है’

प्रसाद ने कहा, ‘मोदी जी ने देश के कुछ राज्यों के डीएम से उनके जिले की कोरोना की लड़ाई में जो अच्छे काम हो रहे हैं उसको शेयर करने के लिए बैठक बुलाई थी। बैठक में ममता बनर्जी जी का आचरण बहुत ही अशोभनीय रहा है। उन्होंने पूरी मीटिंग को एक प्रकार से डीरेल करने का प्रयास किया।  उन्होंने कहा कि सिर्फ भाजपा शासित राज्यों के डीएम को बुलाया जाता है जबकि पूर्व में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरल के जिलाधिकारियों ने बी अपनी बात रखी है। प्रधानमंत्री जी की सोच बहुत साफ है कि जो भी जिला अधिकारी अच्छा काम कर रहा है उस काम को देश को जानना चाहिए।’

’24 परगना के डीएम को बोलने नहीं दिया’
उन्होंने कहा, ‘आज भी ममता जी ने अपने प्रदेश में 24 परगना के डीएम को बोलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि डीएम क्या जानते हैं, उनसे ज्यादा मैं जानती हूं। एक मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री के द्वारा बुलाई गई बैठक में इस तरह का आचरण करना दुर्भाग्यपूर्ण है, और ममता जी ऐसा पहली बार नहीं कर रही हैं।’ उन्होंने कहा कि इससे पहले कई मीटिंग्स में ममता बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया था। 17 मार्च को पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई मीटिंग, या उससे पहले भी एकाध मीटिंग्स को छोड़कर वह किसी में नहीं आई थीँ। उन्होंने कहा, ‘वह 2014 में पीएम के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर पर बैठक में नहीं आईं, 2015 में लैंड बिल पर बैठक में नहीं आईं, 2019 में नीति आयोग की गवर्निंग बैठक में भाग नहीं लिया, 2019 में वन नेशन वन इलेक्शन की बैठक में भाग नहीं लिया।’

‘ममता का आचरण बहुत पीड़ादायक है’
प्रसाद ने कहा, ‘मैं उनसे सवाल पूछता हूं कि भारत के प्रधानमंत्री अगर देश के सभी जिला अधिकारियों से उनके किए अच्छे काम की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं तो इसमें क्या परेशानी है, ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए। कई जिलों में अच्छा काम हुआ है, उस जिले वाले राज्य में किसकी सरकार है इससे नरेंद्र मोदी जी को मतलब नहीं है। बेस्ट प्रैक्टिस कहीं भी हो उसका सदुपयोग होना चाहिए। आज जो उनका आचरण हुआ है वह दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है तथा उसकी हम गंभीरता से निंदा करते हैं। कोरोना की लड़ाई में जब देश को एकजुट होकर लगना चाहिए और प्रधानमंत्री रोज इसपर काम कर रहे हैं, ऐसे समय में इस तरह का आचरण पहुत पीड़ादायक है।’

ममता बनर्जी ने क्या आरोप लगाया है
वहीं, ममता बनर्जी ने बैठक के बाद आरोप लगाया, ‘यह एक कैजुअल और सुपर फ्लॉप बैठक थी। हम सभी मुख्यमंत्रिओं का अपमान किया गया। बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों को कठपुतली की तरह बैठा दिया गया, बोलने नहीं दिया गया, ऐसे में जनता की मांग के बारे में बात कैसे रख सकते हैं। उन्होंने वैक्सीन, मेडिकल पोजिशन, दवाएं, इसपर कोई बात नहीं की। ब्लैक फंगस के बारे में हमसे नहीं पूछा। किसी मुख्यमंत्री को बोलने नहीं दिया, सिर्फ डीएम को बोलने दिया। यह डिक्टेटरशिप से भी ज्यादा है।’

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