नई दिल्ली: 20 महीने पहले जब बिहार के चुनाव हो रहे थे तो लालू प्रसाद यादव और जेडीयू नेता नीतश कुमार ने एनडीए को हराने के लिए बिहार के डीएनए का जिक्र करते हुए महागठबंधन बनाया और चुनाव में जीत का परचम लहरा दिया। लेकिन आज बिहार की राजनीतिक पटकथा बदल गई है। नीतीश और लालू का महागठबंधन टूट चुका है और गजब का संयोग देखिए कि एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री इस्तीफा देते है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी भ्रष्टाचार की लड़ाई का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार को बधाई देते हैं।
लालू का नीतीश कुमार से अलग होना और मोदी का नीतीश को बधाई देना ये आज भले हुआ हो लेकिन इसकी पटकथा बिहार में प्रकाश उत्सव के दौरान नीतीश-मोदी की जुगलबंदी की तस्वीरों से ही कयासबाजी का दौर शुरू हो गया था। नोटबंदी को सीएम नीतीश का समर्थन करना, पुस्तक मेले में कमल के फूल पर रंग भरना और पीएम मोदी का बिहार के सीएम को शराबबंदी के फैसले को सराहना ये कुछ ऐसी बाते है जो बिहार की राजनीति को समझने के लिए काफी है।
आइए उन तस्वीरों के माध्यम से बिहार की राजनीति को समझने की कोशिश करते हैं जिसमें दोस्त दुश्मन बना और राजनीतिक विरोधी दुश्मन, दोस्त बन गए।
भारतीय राजनीति में कहा जाता है कि कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। समय के साथ सत्ता का समीकरण जो कहता है जनता को वही दिखता है। इसे आप खिस्सा कहो, कहानी कहो या अवसरवाद की राजनीति...हर दल, हर नेता इसमें माहिर है। दुख की बात तो ये है हर बार छली जाती है जनता....
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी नीतीश कुमार ने एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया था।
बिहार में प्रकाश उत्सव के दौरान नीतीश कुमार और पीएम मोदी...कहते है कि तस्वीरें हजार शब्द कहती है पर ये भी सच है कि राजनीति भी पल-पल बदलती है। तस्वीरों को देखिए और आप खुद आकलन कर लीजिए कि बिहार की राजनीति में आज क्या हो रहा है।