मुंबई. शिवसेना ने पांच राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद ईंधन की कीमतों में वृद्धि को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र की आलोचना की और कहा कि ‘‘मौजूदा शासक’’ चुनाव के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में लिखा है, ईंधन की कीमतें हमेशा से ऊपर जा रही थीं लेकिन अचानक चार राज्यों (असम, केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु) और केंद्र शासित प्रदेश (पुडुचेरी) के विधानसभा चुनाव की अवधि में कम कर दी गई।
मराठी अखबार ने आरोप लगाया है, ‘‘लेकिन चुनावी नतीजों के बाद तस्वीर बदल गई। मौजूदा शासक चुनाव के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।’’
संपादकीय में कहा गया है कि सरकारी तेल कंपनियों द्वारा ‘अबतक पांच बार कीमत बढ़ाए जाने के बाद’ पेट्रोल और डीजल के मूल्य आसमान छूने लगे हैं। शिवसेना ने कहा कि चुनाव के नतीजों की घोषणा दो मई को की गई और ईंधन के कीमतों में चार मई को वृद्धि हो गई। सामना ने लिखा है, ‘‘नजदीक में चुनाव नहीं है। संभवत:, सरकार अपनी तिजोरी भरना चाहती है जो चुनाव के दौरान कीमतों को घटाने से खाली हो गई थी। आम लोगों की जेब का क्या? वह खाली है।’’
पार्टी ने कहा कि बेरोजगारी और वेतन कटौती से आम आदमी पहले ही मुश्किल का सामना कर रहा है। सामना ने दावा किया कि इससे पहले बिहार चुनाव के दौरान ईंधन की कीमतें स्थिर थी और चुनाव नतीजों के बाद 18 दिनों में 15 बार कीमतों में वृद्धि की गई। शिवसेना ने तंज कसा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान ‘चमत्कारिक’ तरीके से ईंधन की कीमतें स्थिर रही थीं। पार्टी ने कहा कि तीन साल पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद भारत में ईंधन की कीमतें ‘स्थिर’ रही थीं।