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भारत में निवास करने वाले सभी का डीएनए एक: मोहन भागवत

भागवत ने कहा कि हजार वर्षों पूर्व से अफगानिस्तान से बर्मा तक चीन की तिब्बत की ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक जितना जनसमूह रहता है। उतने जनसमूह का डीएनए यह बता रहा है कि उनके पूर्वज समान हैं...

Reported by: Bhasha
Published : January 15, 2018 23:25 IST
mohan bhagwat
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रायपुर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में निवास करने वाले सभी व्यक्ति एक हैं तथा सभी का डीएनए एक है। भागवत ने आज यहां के साइंस कालेज मैदान में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को जोड़ने वाले भारत के पूर्वज हैं। सबको अलग अलग चित्रण दिखाई देता है लेकिन सबके पूवर्ज एक ही थे। यह विज्ञान कहता है।

उन्होंने कहा कि हजार वर्षों पूर्व से अफगानिस्तान से बर्मा तक चीन की तिब्बत की ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक जितना जनसमूह रहता है। उतने जनसमूह का डीएनए यह बता रहा है कि उनके पूर्वज समान हैं। यह हमको जोड़ने वाली बात है। आज हम एक दूसरे को भूल गए हैं, रिश्ते नाते भूल गए हैं, आपस में एक दूसरे का गला पकड़कर झगड़ा भी कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह एक है कि हम एक ही घर के लोग हैं। हम समान पूर्वजों के वंशज हैं।

भागवत ने कहा कि आज दुनिया में विश्व बंधुत्व की बात करने वाला और इसे निभाने वाला दूसरा कोई देश नहीं है, मात्र एक देश भारत है। आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा कि हम भारत के हैं। हम इस संस्कृति को मानने वाले हैं। उन पूवर्जों के वशंज हैं जिन्होंने कभी दुनिया को विज्ञान दिया। वो भी देश विदेश गए लेकिन किसी को जितने के लिए नहीं गए। सारी दुनिया पर उपकार किए। हमें फिर से अपने देश को ऐसा बनाना है।

उन्होंने कहा कि यह गौ रक्षा क्यों, ग्राम विकास क्यों, जैविक खेती का आग्रह क्यों कर रहे हैं। क्यों हम चाहते हैं कि बिछड़े हुए वापस घर आ जाएं। क्यों हम चाहते हैं कि समाज में विविधता को लेकर भेदभाव, मतभेद, विषमता न हो। क्योंकि यह सारी बातें हमारी स्वत्व का पोषक है।

भागवत ने कहा कि छोटे बड़े उपक्रमों के माध्यमों के द्वारा सक्रिय होकर समाज जागरण करना यह अपना काम है और यह करना चाहिए, उसकी आवश्यकता है। परिस्थिति में कुछ भी दिखाई देता है। सत्य के राह पर चलने वाले यशस्वी होते हैं। यह सत्यमेव जयते की भूमि है। इसलिए मन में आपस की एकता का स्मरण रखना होगा और संपूर्ण समाज के प्रति आत्मियता को लेकर चलना होगा।

इस दौरान छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन सिंह टेकाम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। अपने संक्षिप्त उदबोधन में उन्होंने रानी दुर्गावती को याद करते हुए कहा कि राष्टहित में आदिवासियों ने हमेशा अपना बलिदान दिया है लेकिन आज वह उपेक्षित और शोषित बना हुआ है। नतीजन बस्तर के भोले-भाले आदिवासियों को राष्ट्रविरोधी शक्तियां बरगला रही हैं लेकिन वे अपने मंसूबे में कामयाब नही हो सकतीं।

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