पटना: पटना हाईकोर्ट में ने आज नीतीश सरकार के खिलाफ लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल की याचिका ख़ारिज कर दी। सरकारी वकील ने बताया कि न्यायालय ने याचिकाओं को इस आधार पर खारिज कर दिया कि नई सरकार का गठन संवैधानिक प्रक्रियाओं के अनुरूप हुआ है। न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया है।
याचिका में बिहार में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल द्वारा नीतीश कुमार की JDU को बुलाने के फ़ैसले पर सवाल उठाया गया था। RJD का तर्क था कि सबसे बड़ा दल होने के नाते उसे सरकार बनाने का न्यौता मिलना चाहिए था। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दो अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।
आरजेडी के विरोध के बीच नीतीश सरकार ने 27 जुलाई को शपथ ली थी। याचिकाकर्ता ने राज्यपाल के फैसले पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा था कि सबसे ज्यादा विधायक आरजेडी के होने के कारण पहले आरजेडी को सरकार बनाने का न्योता दिया जाना चाहिए था, लेकिन नियमों को दरकार कर नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया। सरकार के गठन के खिलाफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके पुत्र तेजस्वी यादव ने भी कोर्ट में जाने की बात कही थी।
आज मीडिया से मुख़ातिब हो सकते हैं नीतीश
सरकार के गठन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज पहली बार मीडिया से मुखातिब हो सकते हैं। आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार के ऊपर आरजेडी की तरफ से तीखे हमले हुए हैं। नीतीश कुमार उन सबका जवाब तो दे ही सकते हैं साथ ही अपने ने सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बात कर सकते हैं।
बोम्मई मामले का हवाला दिया है RJD ने
राजद का कहना था कि हर जनादेश का अपना एक चरित्र होता है और बिहार में दलितों, अल्पसंख्यकों और ऊंची जातियों के कुछ प्रगतिशशील तबकों ने पूर्ववती सरकार के लिए मतदान किया था लेकिन जदयू के महागठबंधन के तोड़ देने से वह जनादेश गिर गया है। पार्टी का तर्क था कि भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए कुमार को आमंत्रित करने का राज्यपाल का फैसला बोम्मई मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है।