मुंबई: शिवसेना ने कोरोना वायरस रोकने के लिए लगे लॉकडाउन का देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दीर्घकालिक असर पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सांप्रदायिक राजनीति छोड़ कर अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए काम करना चाहिए। पार्टी ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की बीच हाल ही में हुई चर्चा ने यह दिखाया कि अर्थव्यवस्था के लिए कितना कठिन समय है।
शिवसेना ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अर्थशास्त्री रघुराम राजन के साथ डिजिटल माध्यम से बातचीत की थी। राजन ने कहा कि सरकार को कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण परेशानी का सामना कर रहे गरीब लोगों के लिए 65000 करोड़ रुपए खर्च करने की जरूरत है। पूरे देश को लॉकडाउन के आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे।’’ पार्टी ने कहा,‘‘राजन ने कहा कि लॉकडाउन के बाद सरकार की गरीबों की वर्तमान परिभाषा बदल जाएगी। मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग भी गरीब की श्रेणी में आ जाएंगे और आर्थिक रूप से पिछड़ा होने का प्रमाणपत्र मांगने लगेंगे। अमेरिका जैसे विकसित देश तक में भी बेरोजगारी की गंभीर समस्या शुरू हो गई है।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि अमेरिका में बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान है जो भारत में नहीं है। भारत में 10 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएगें, जो चिंता का विषय है।’’ शिवसेना ने कहा कि उनकी बातचीत से यह स्पष्ट है कि अनिश्चितकाल तक बंद अर्थव्यवस्था के लिए मंहगा साबित होगा। सरकार को तय नियमों के अलावा भी काम करना होगा। निर्णय लेने की शक्ति और अधिकार केवल कुछ लोगों के हाथों तक ही सीमित नहीं रह सकते।
पार्टी ने कहा कि जहां तक महाराष्ट्र की बात है 2019-20 की राजस्व आय 3.15 लाख करोड़ रूपये हैं वहीं खर्च 3.35 लाख करोड़ रूपये हैं। लेकिन बंद के कारण राजस्व घाटा बढ़ेगा और राज्य चलाना मुश्किल हो जाउगा। पार्टी ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार को सब को साथ ले कर चलना होगा। उसे सब के विचारों पर ध्यान देना होगा और आगे का खाका तैयार करना होगा।’’ पार्टी ने कहा, ‘‘भारत में सभी राजनीतिक दलों को भारत-पाकिस्तान, धर्म और जाति की राजनीति को छोड़ कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री को नेतृत्व करना चाहिए और पूरा देश उनके साथ है।’’