नयी दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को बताया कि निचले सदन में 115 प्रतिशत कामकाज हुआ और इस दौरान 130 घंटे 45 मिनट की कार्यवाही के दौरान 14 विधेयक पारित हुए एवं औसतन प्रतिदिन 20.42 अनुपूरक प्रश्नों के उत्तर दिये गए। लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने से पहले स्पीकर बिरला ने कहा कि सत्र के दौरान सदन की 20 बैठकें हुई, जो 130 घंटे 45 मिनट चलीं। वर्ष 2019-20 के लिये अनुदान की अनुपूरक मांगों पर 5 घंटे और 5 मिनट चर्चा हुई।
ओम बिरला ने कहा कि सत्र के दौरान 18 सरकारी विधेयक पुन:स्थापित हुए और कुल मिलाकर 14 विधेयक पारित हुए। बिरला ने कहा कि 140 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गए और औसतन प्रतिदिन लगभग 7.36 प्रश्नों के उत्तर दिये गए। इसके अलावा प्रतिदिन 20.42 अनुपूरक प्रश्नों के उत्तर दिये गए। प्रतिदिन औसतन 58.37 मामले उठाये गए। नियम 377 के अधीन कुल 364 मामले उठाए गए। स्पीकर ने कहा, ‘‘इस प्रकार से सभा की उत्पादकता 115 प्रतिशत दर्ज की गई।’’
उन्होंने बताया कि स्थायी समितियों ने सभा में 48 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये। सत्र के दौरान संबंधित मंत्रियों ने कुल 1669 पत्र सभा पटल पर रखे। सत्र के दौरान नियम 193 के तहत दो अल्पकालिक चर्चाएं की गई जिसमें वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के संबंध में 7 घंटे और 49 मिनट तक चर्चा चली तथा विभिन्न कारणों से फसल की क्षति और उसका कृषकों पर प्रभाव विषय पर 7 घंटे और 21 मिनट तक चर्चा चली।
गैर सरकारी सदस्यों के कामकाज के तहत सदस्यों ने अलग-अलग विषयों पर 28 निजी विधेयक पुन: स्थापित किये और 22 नवंबर को गैर सरकारी ‘अनिवार्य मतदान विधेयक 2019’ के प्रस्ताव पर आगे चर्चा की गई जो पूरी नहीं हुई। गैर सरकारी सदस्यों के संकल्पों के मामले में 29 नवंबर 2019 को केन बेतवा नदी सम्पर्क परियोजना के माध्यम से नहरों के निर्माण संबंधी संकल्प पर आगे चर्चा की गई। यह चर्चा उस दिन पूरी नहीं हुई।
26 नवंबर को संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिये एक समारोह का आयोजन हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद की क्षमता निर्माण के कदम के रूप में संदर्भ प्रभाग द्वारा सभा के समक्ष महत्वपूर्ण विधायी कार्यो की ब्रीफिंग सत्र आयोजित करने के लिये नई पहल की गई। इसका उद्देश्य सभा के विधायी मुद्दों पर संसद सदस्यों को जानकारी देना है।
लोकसभा अध्यक्ष के वक्तव्य के बाद सदन में ‘वंदे मातरम’ की धुन बजाई गई। जिसके बाद सभा की बैठक अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दी गई । अध्यक्ष बिरला जब वक्तव्य पढ़ रहे थे तब कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर ‘वी वांट जस्टिस’ और ‘उन्नाव का क्या हुआ’ जैसे नारे लगा रहे थे।