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प्रकाश सिंह बादल होंगे भारत के नए राष्ट्रपति?

'भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हमें बादल साहब के बारे में संकेत मिला। उनका विरोध करना मुश्किल होगा। अकालियों के साथ इमर्जेंसी के खिलाफ लड़ने वाली डीएमके जैसी पार्टियां भी उनके नाम को चुनौती नहीं देंगी।'

India TV News Desk
Published on: June 13, 2017 10:08 IST
Parkash-Singh-Badal- India TV Hindi
Parkash-Singh-Badal

नई दिल्ली: जैसे-जैसे राष्टपति चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे कयासों का बाजार गर्म होता जा रहा है। इससे पहले जहां यह खबर आई थी की भाजपा लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज या झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि पार्टी शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमेत्री प्रकाश सिंह बादल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...

मुंबई मिरर ने सूत्रों के मुताबिक बताया है कि भाजपा का मानना है कि बादल के नाम पर न केवल एनडीए, बल्कि यूपीए की कुछ पार्टियां एनसीपी भी सहमति दे सकती हैं। एनसीपी के एक शीर्ष नेता ने बताया, 'भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हमें बादल साहब के बारे में संकेत मिला। उनका विरोध करना मुश्किल होगा। अकालियों के साथ इमर्जेंसी के खिलाफ लड़ने वाली डीएमके जैसी पार्टियां भी उनके नाम को चुनौती नहीं देंगी।'

वहीं विपक्षी पार्टियों की बात करें तो वे भाजपा की ओर से एकराय वाले उम्मीदवार का नाम लाने को लेकर आश्वस्त नजर नहीं आ रहीं। एनसीपी नेता तारिक अनवर ने बताया, 'हमें नहीं लगता कि भाजपा किसी आरएसएस बैकग्राउंड वाले शख्स को नजरअंदाज करके बादलजी को उम्मीदवार बनाएगी। सरकार के पास बस 24000 वोट ही कम हैं।' तारिक अनवर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी नेताओं की उप-कमिटी के सदस्य हैं।

इससे पहले साारूढ़ राजग और कुछ विपक्षी दल परस्पर स्वीकार्य राष्टपति पद के उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। इस मुद्दे पर लंबी चुप्पी के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तीन सदस्यीय एक समिति गठित की है जो आम-सहमति के राष्टपति उम्मीदवार के लिए विपक्ष सहित राजनीतिक दलों से बातचीत करेगी। इस समिति में वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरूण जेटली एवं एम वेंकैया नायडू शामिल होंगे। समिति 17 जुलाई को होने वाले राष्टपति चुनाव के लिए भाजपा सहयोगियों एवं विपक्षी दलों के साथ बातचीत करेगी।

भाजपा के एक बयान में कहा गया कि यह समिति राष्टपति चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बात करेगी और आम-सहमति कायम करने का प्रयास करेगी। इस बीच आम-सहमति का उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्ष द्वारा गठित 10 सदस्यीय टीम की पहली बैठक यहां 14 जून को होगी। विपक्षी दल इस मुद्दे पर कई दौर की बात कर चुके हैं लेकिन संयुक्त उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है। विपक्ष के सूत्रों ने कहा कि वे इंतजार कर रहे हैं कि साारूढ़ गठबंधन अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान करे और फिर वे चर्चा करेंगे कि राजग द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवार उन्हें स्वीकार्य है या नहीं।

एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजग के साथ बातचीत में आम-सहमति की संभावना नहीं बनी तो विपक्ष साारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के खिलाफ संयुक्त प्रत्याशी उतारेगा। सूत्रों ने कहा कि 10 सदस्यीय समिति में कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खडगे हैं। इसमें जदयू के शरद यादव, राजद के लालू प्रसाद और माकपा के सीताराम येचुरी समेत अन्य वरिष्ठ विपक्षी नेता शामिल हैं। समिति में द्रमुक के राज्यसभा सदस्य आर एस भारती, सपा के रामगोपाल यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन और राकांपा के प्रफुल्ल पटेल भी हैं।

साारूढ़ खेमे ने अपने उम्मीदवार पर बात नहीं की है लेकिन विपक्ष में कुछ नामों की अटकलें चल रही हैं। विपक्ष ने महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी से बात की है। पूर्वलोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार के नाम पर भी विचार हुआ है। हालांकि पवार ने कहा कि वह दौड में नहीं हैं।

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आखिर भारत में इसे क्यों कहा जाता है ‘उड़ता ताबूत’?

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