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तमिलनाडु सरकार में फिर नंबर 2 पर पहुंचे पन्नीरसेल्वम

चेन्नई: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के नेता ओ. पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु सरकार में एक बार फिर दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय से पार्टी महासचिव जे.

IANS
Updated : May 23, 2015 15:34 IST
तमिलनाडु सरकार में...
तमिलनाडु सरकार में फिर नंबर 2 पर पहुंचे पन्नीरसेल्वम

चेन्नई: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के नेता ओ. पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु सरकार में एक बार फिर दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय से पार्टी महासचिव जे. जयललिता के बरी होने और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पन्नीरसेल्वम अब फिर राज्य के वित्त मंत्री हो गए हैं।

पन्नीरसेल्वम (64) पिछले साल सितंबर में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, जब बेंगलुरू की एक अदालत ने जयललिता को 18 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के मामले में चार साल कैद की सजा सुनाई थी और उन पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी किया था।

अदालत के इस फैसले के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस वक्त जयललिता के भरोसेमंद पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था।

जयललिता को निचली अदालत से सजा होने और कर्नाटक उच्च न्यायालय से उनके बरी होने तक पन्नीरसेल्वम राज्य के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान जयललिता के प्रति अपनी निष्ठा दर्शाने के लिए उन्होंने अपने वित्त मंत्रालय के कार्यालय से ही मुख्यमंत्री के कामकाज को भी अंजाम दिया। हालांकि इसके लिए उन्हें विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी और उन्हें 'कठपुतली मुख्यमंत्री' भी कहा गया। लेकिन इसकी परवाह न करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह अपनी सरकार का संचालन जयललिता के निर्देशानुसार कर रहे हैं।

पन्नीरसेल्वम ने 1996 में राजनीति में कदम रखा था। वह 2001 में पेरियाकुलम विधानसभा सीट से जीते थे और लोक निर्माण विभाग के मंत्री बने थे। वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके की जीत के बाद गठित सरकार में जयललिता ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया था।

पन्नीरसेल्वम थेवर समुदाय से राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। वर्ष 2001 में भी वह कुछ समय के लिए राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। तब भी हालात ऐसे ही थे, जब जयललिता को कानूनी वजहों से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जयललिता ने तब भी अपने विश्वासपात्र के रूप में पन्नीरसेल्वम को चुना था। जयललिता के प्रति निष्ठावान पन्नीरसेल्वम ने शुरुआत में बतौर मुख्यमंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर करने से ही मना कर दिया। उन्होंने तब भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से इंकार किया।

साल 2006 में जब एआईएडीएमके हार गई थी, तब वह विपक्ष के नेता था।

पन्नीरसेल्वम का जन्म 1951 में थेनी के पेरियाकुलम में हुआ था। स्नातक के बाद उन्होंने कृषि क्षेत्र में किस्मत आजमाई, लेकिन इसके बाद राजनीतिक में प्रवेश कर लिया। उन्हें पहली सफलता 1996 में मिली, जब वह पेरियाकुलम नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

जयललिता के खास होने के बावजूद वह राजनीतिक चकाचौंध से दूर रहते हैं। उन्हें हमेशा मस्तक पर भभूत और लाल रंग का टीका लगाए देखा जा सकता है। वह तीन बच्चों के पिता हैं।

उनकी सरलता की प्रशंसा विपक्षी भी करते हैं। विपक्षी दल के एक विधायक ने आईएएनएस से कहा, "वह बेहद सरल एवं मिलनसार तथा मृदुभाषी हैं। सरकार में वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद उन्हें किसी तरह का घमंड नहीं है।"

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