नई दिल्ली: पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक निगरानी दल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट से बचने और ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए आक्रामक कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, देश वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (FATF) संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुट गया है। वह FATF के सदस्य देशों के साथ कूटनीति प्रयासों के साथ ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की तमाम कोशिश कर रहा है। संगठन की बैठक 22 फरवरी से शुरू होगी। इस साल बैठक वर्चुअल तरीके से आयोजित की जाएगी। चार दिवसीय बैठक यह तय करेगी कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखना है या नहीं।
जून तक ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने FATF की आगामी बैठक के नतीजे को लेकर आशा जताई है, लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान कम से कम जून तक ग्रे सूची में बना रहेगा। पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में आने से बचने के लिए न्यूनतम 3 वोट चाहिए, जबकि ग्रे लिस्ट से बाहर होने से बचने के लिए उसे लगभग 15 वोट चाहिए। FATF में वर्तमान में 39 पूर्ण सदस्य हैं। पाकिस्तान को अब भी FATF द्वारा निर्धारित 27 मापदंडों में से 13 पर खरा उतरना है। पाकिस्तान साथ ही यह भी दिखा रहा है कि वह आतंकी वित्तपोषण से नहीं जुड़ा है और उसे ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाना चाहिए।
पाक को मिल सकते हैं इन 3 देशों के वोट
पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अपने मित्र देशों चीन, तुर्की और मलेशिया के 3 वोट तो मिल जाएंगे, मगर इसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि उसे FATF के 39 सदस्यों में से 12 से भी अनुमोदन की जरूरत होगी, जिसे हासिल करने में फिलहाल वह सक्षम नजर नहीं आ रहा है। 21 से 23 अक्टूबर तक आयोजित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की वर्चुअल प्लेनरी ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा। पाकिस्तान आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए दिए गए 27 मापदंडों में से छह को पूरा करने में विफल रहा था। वह आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाने और मुकदमा चलाने में भी चुस्ती नहीं दिखा रहा था।
जून 2018 से ग्रे लिस्ट में है पाकिस्तान
FATF ने यह माना कि पाकिस्तान को अभी भी आतंकी फंडिंग की जांच करने की जरूरत है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय एफएटीएफ के सदस्य देशों के राजदूतों और राजनयिकों को आमंत्रित कर रहा है कि वे 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान को लेकर पाकिस्तान द्वारा की गई कार्रवाई की प्रगति को खुद देखें। पाकिस्तान ने सदस्य देशों से इस मामले में सहयोग देने का अनुरोध किया है और एफएटीएफ को पाकिस्तान का दौरा करने की अनुमति देने की मांग की है। पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी। ग्रे सूची में शामिल देश वे होते हैं, जहां आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज्यादा होता है, लेकिन ये देश FATF के साथ मिलकर इसे रोकने को लेकर काम करने के लिए तैयार होते हैं।
पाकिस्तान करता रहता है यह पुराना खेल
पाकिस्तान हमेशा FATF की बैठकों से पहले यह दिखाने की कोशिश करता है कि वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, मगर बैठक खत्म होने के बाद फिर से अपने पुराने रास्ते पर लौट आता है और आतंक को लगातार पनाह देता रहता है। उदाहरण के लिए, 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद को जेल की सजा सुनाई गई है, लेकिन उसे अपने घर में रहने और सामान्य जीवन जीने की अनुमति है। यह एक नियमित पैटर्न है, जिसमें आतंकियों को FATF की बैठक से पहले दिखावे के तौर पर जेल में डाल दिया जाता है और बैठक समाप्त होते ही इन आतंकियों को जमानत दे दी जाती है और उन्हें आजादी से घूमने की अनुमति भी मिल जाती है।