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ओवैसी ने जताई मोहन भागवत के बयान से आपत्ति, पूछ लिए कई सवाल

AIMIM के प्रमुख असददुदीन ओवेसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान से आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के मुसलमान दुनिया में सबसे ज्यादा सुखी और संतुष्ट हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 10, 2020 19:30 IST
Owaisi questions RSS Mohan Bhagwat asks What is measure of Muslims happiness? । ओवैसी ने जताई मोहन भ- India TV Hindi
Image Source : FILE Owaisi questions RSS Mohan Bhagwat asks What is measure of Muslims happiness? । ओवैसी ने जताई मोहन भागवत के बयान से आपत्ति, पूछ लिए कई सवाल

नई दिल्ली. AIMIM के प्रमुख असददुदीन ओवेसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान से आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के मुसलमान दुनिया में सबसे ज्यादा सुखी और संतुष्ट हैं। ओवैसी ने ट्वीट कर मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा, "हमारी खुशियों का पैमाना क्या है? भागवत नाम का एक आदमी लगातार हमें रहा है कि हमें बहुसंख्यक आबादी के प्रति कितना आभारी होना चाहिए? हमारी खुशियों को पैमाना यह है कि क्या संविधान के तहत हमारी गरिमा का सम्मान किया जाता है। जब आपकी विचारधारा हमें दोयम दर्जे का नागरिक बनाने पर तुली है, तब हमें यह मत बताइए कि हम कितना खुश हैं।"

ओवैसी ने आगे कहा, "मैं आपको यह नहीं सुनना चाहता कि हम अपनी मातृभूमि में रहने के लिए बहुसंख्यक आबादी के आभारी हैं। हम बहुसंख्यक आबादी की सद्भावना की तलाश नहीं कर रहे हैं, हम दुनिया के मुसलमानों के साथ सबसे खुश रहने की प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं। हम सिर्फ अपने मौलिक अधिकार चाहते हैं।" आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय मुसलमान दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब भारतीयता की बात आती है तो सभी धर्मों के लोग एक साथ खड़े होते हैं। भागवत ने कहा कि किसी तरह की कट्टरता और अलगाववाद केवल वे ही लोग फैलाते हैं जिनके खुद के हित प्रभावित होते हैं। 

हिंदी पत्रिका को दिया भागवत ने इंटरव्यू

संघ प्रमुख ने महाराष्ट्र से प्रकाशित होने वाली हिंदी पत्रिका ‘विवेक’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘सबसे ज्यादा भारत के ही मुस्लिम संतुष्ट हैं।’’ उन्होंने कहा कि क्या दुनिया में एक भी उदाहरण ऐसा है जहां किसी देश की जनता पर शासन करने वाला कोई विदेशी धर्म अब भी अस्तित्व में हो। भागवत ने कहा, ‘‘कहीं नहीं। केवल भारत में ऐसा है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के विपरीत पाकिस्तान ने कभी दूसरे धर्मों के अनुयायियों को अधिकार नहीं दिये और इसे मुसलमानों के अलग देश की तरह बना दिया गया। भागवत ने कहा, ‘‘हमारे संविधान में यह नहीं कहा गया कि यहां केवल हिंदू रह सकते हैं या यह कहा गया हो कि यहां केवल हिंदुओं की बात सुनी जाएगी, या अगर आपको यहां रहना है तो आपको हिंदुओं की प्रधानता स्वीकार करनी होगी। हमने उनके लिए जगह बनाई। यह हमारे राष्ट्र का स्वभाव है और यह अंतर्निहित स्वभाव ही हिंदू कहलाता है।’’ 

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संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि कौन किसकी पूजा करता है। धर्म जोड़ने वाला, उत्थान करने वाला और सभी को एक सूत्र में पिरोने वाला होना चाहिए। भागवत ने कहा, ‘‘जब भी भारत और इसकी संस्कृति के लिए समर्पण जाग्रत होता है और पूर्वजों के प्रति गौरव की भावना पैदा होती है तो सभी धर्मों के बीच भेद समाप्त हो जाता है और सभी धर्मों के लोग एक साथ खड़े होते हैं।’’ 

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह केवल परंपरागत उद्देश्यों के लिए नहीं है बल्कि मंदिर राष्ट्रीय मूल्यों और चरित्र का प्रतीक होता है। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि इस देश के लोगों के मनोबल और मूल्यों का दमन करने के लिए मंदिरों को ध्वस्त किया गया। इस कारण से लंबे समय से हिंदू समाज मंदिरों का पुनर्निर्माण चाहता था। हमारे जीवन को त्रस्त किया गया और हमारे आदर्श श्रीराम के मंदिर को गिराकर हमें अपमानित किया गया। हम इसका पुनर्निर्माण करना चाहते हैं, इसका विस्तार करना चाहते हैं और इसलिए भव्य मंदिर बनाया जा रहा है।’’ (With inputs from Bhasha)

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