नई दिल्ली: बिहार में जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों को लेकर कयासों का दौर जारी है। पटना में राजनीतिक दलों की इफ्तार पार्टियों ने इसको और हवा दे दी है। लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित्त हुए महागठबंधन के नेता भी अब नीतीश कुमार में सियासी संजीवनी तलाशने लगे हैं और मौके का फायदा उठाना चाहते हैं।
जेडीयू और बीजेपी में मनमुटाव की खबरों के बीच पटना में एलजेपी की इफ्तार पार्टी में सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील मोदी एक साथ दिखे तो फिर कयासबाजी का दौर शुरू हो गया। सवाल यही कि आखिर दोनों पार्टियों के बीच चल क्या रहा है, क्या दोनों में दूरी बढ़ रही है या सबकुछ पहले जैसे ही है।
दरअसल इससे पहले जेडीयू और बीजेपी के नेता एक दूसरे की इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए थे जिसके बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया था कि दोनों पार्टियों में ऑल इज वेल नहीं है इसलिए इनके नेता एक मंच पर साथ नहीं दिखना चाहते। हालांकि जेडीयू कह रही है मोदी कैबिनेट में एक मंत्री पद के ऑफर को ठुकराने का मतलब ये नहीं है हम एनडीए से दूर हो रहे हैं।
उधर, सोमवार शाम हुई जीतन राम मांझी की इफ्तार पार्टी भी बिहार की सियासत में काफी सुर्खियों में रही क्योंकि इसमें पूर्व सीएम राबड़ी देवी और उनके बेटे तेज प्रताप के अलावा सीएम नीतीश कुमार भी शरीक हुए। जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार की इफ्तार में शामिल हुए थे। मांझी वैसे तो महागठबंधन में शामिल हैं लेकिन बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने नीतीश कुमार को भी साथ आने का न्योता दिया।
आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी बीजेपी और जेडीयू के बीच मनमुटाव की खबरों पर चुटकी ली और नीतीश कुमार को बीजेपी के खिलाफ एकजुट हुई पार्टियों का साथ देने की नसीहत दी। दरअसल, जेडीयू ने मोदी कैबिनेट में सिर्फ एक पद का ऑफर मिलने के बाद मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है।
इस फैसले के बाद नीतीश कुमार ने भी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और 8 मंत्रियों को उसमें शामिल किया लेकिन बीजेपी कोटे से एक भी मंत्री ने शपथ नहीं ली जिसके बाद दोनों पार्टियों में दरार बढ़ने के कयास लगाए जाने लगे। अब देखना है कि आगे दोनों के बीच मामला सुलझता है या और उलझने बढ़ेंगी।