नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि विपक्ष के नेताओं और प्रेस के लोगों को श्रीनगर जाने का प्रयास करते समय प्रशासनिक क्रूरता और जम्मू कश्मीर के लोगों पर किये जा रहे बल के बर्बर प्रयोग का अहसास हुआ।
अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद हालात का जायजा लेने के लिए कश्मीर जाने का प्रयास कर रहे राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेताओं को राज्य प्रशासन ने शनिवार को श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी और उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया था।
राहुल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजादी और नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाए हुए 20 दिन हो चुके हैं।’’ उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं और प्रेस को प्रशासनिक क्रूरता और जम्मू-कश्मीर के लोगों पर किये जा रहे बल के बर्बर प्रयोग का अहसास हुआ, जब हमने शनिवार को श्रीनगर जाने की कोशिश की।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने शनिवार के घटनाक्रम का एक वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें अधिकारी विपक्षी नेताओं और राहुल के सामने एक आदेश को पढ़ कर सुना रहे थे। वीडियो में दिखा है राहुल मीडिया से बात कर रहे थे और उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिनिधिमंडल के साथ गए मीडियाकर्मियों से बदसलूकी और मारपीट की गयी।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि जम्मू कश्मीर में स्थिति ‘‘सामान्य’’ नहीं है। राहुल शनिवार को जब घाटी जाने की कोशिश कर रहे थे, उस समय उनके साथ माकपा, भाकपा, द्रमुक, राकांपा, जद(एस), राजद, एलजेडी और तृणमूल कांग्रेस के नेता भी थे। उनके साथ कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और के.सी.वेणुगोपाल, माकपा नेता सीताराम येचुरी, तिरुची शिवा (द्रमुक), शरद यादव (एलजेडी), दिनेश त्रिवेदी (तृणमूल कांग्रेस), डी राजा (भाकपा), मजीद मेनन (राकांपा), मनोज झा (राजद) और जद (एस) के कुपेन्द्र रेड्डी थे ।