पुणे यूनिवर्सिटी का एक अजीबोगरीब फरमान सामने आया है. यूनिवर्सिटी ने ऐलान किया है कि जो छात्र शाकाहारी होंगे उन्हें ही पढ़ाई में बेहतर रिज़ल्ट आने पर गोल्ड मेडल दिया जाएगा यानी अगर आप टॉपर हैं और पढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन भी किया है लेकिन मांसाहारी हैं तो आपको गोल्ड मैडल नहीं मिलेगा.
यूनिवर्सिटी के सर्कुलर के मुताबिक अगर आप शाकाहारी हैं और किसी भी तरह का नशा नहीं करते हों तभी आप गोल्ड मैडल के हक़दार होंगे. पुणे विश्वविद्यालय ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि किसी भी छात्र को गोल्ड मेडल पाने के लिए ज़रूरी है कि वो कोई भी नशा न करे और शाकाहारी हो. सर्कुलर के अनुसार 10 ऐसी शर्तें तय की गई हैं जो महर्षि कीर्तंकर शेलार मामा गोल्ड मैडल के लिए पात्रता तय करते हैं. इनमें से सातवीं शर्त है छात्र को किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए और उसे शाकाहारी होना चाहिए.
विश्वविद्यालय ने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि यह शर्त मैडल के प्रायोजकों द्वारा रखी गई है. एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि चूंकि सभी पुरस्कार बाहरी लोगों द्वारा स्पॉन्सर किए जाते हैं, तो हम उनके ही नियम व शर्तों का पालन करते हैं.
इस बीच शिवसेना और एनसीपी ने यूनिवर्सिटी के फ़रमान की आलोचना की है. शिवसेना के युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने विश्वविद्यालय की निंदा की है. ठाकरे ने कहा कि कोई क्या खाए क्या ना खाए ये उसका अपना फैसला होना चाहिए. यूनिवर्सिटी को केवल पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए.
एनसीपी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर इस फैसले पर आपत्ति जताई है. सुले ने लिखा है- ''पुणे यूनिवर्सिटी का निराशाजनक और चौंकाने वाला फैसला - अपने राज्य की शिक्षा पर गर्व है, हमारी यूनिवर्सिटीज को क्या हो गया है। कृपया शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, भोजन पर नहीं."