रांची: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि कट्टरता और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं दुनिया भर में शांति को बाधित कर रही हैं और इनका समाधान केवल भारत के पास है क्योंकि उसके पास समग्र रूप से सोचने और इस समस्याओं से निपटने का अनुभव है। भागवत ने कहा, ‘‘दुनिया भारत का इंतजार कर रही है, इसलिए भारत को एक महान राष्ट्र बनना होगा।’’ उन्होंने यहां आरएसएस द्वारा आयोजित ‘मेट्रोपोलिटन मीटिंग’ में अपने संबोधन में कहा कि जब भी भारत मुख्य भूमिका निभाता है, दुनिया को लाभ होता है।
भागवत ने कहा, ‘‘कट्टरता, पर्यावरण की समस्याएं और खुद को सही एवं शेष सभी को गलत मानने की सोच विश्व में शांति को बाधित कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि केवल भारत के पास इन समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए समग्र रूप से सोचने का अनुभव है। भागवत ने आरएसएस सदस्यों से हर जाति, भाषा, धर्म एवं क्षेत्र के लोगों से जुड़ने की अपील की।
उन्होंने कहा कि भारत का चरित्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत के साथ एक धागे में सभी लोगों को बांधने का है। भागवत ने एक किस्सा याद करते हुए कहा कि एक मुस्लिम बुद्धिजीवी भारत से हज गया था और उसे ‘लॉकेट’ पहनने के कारण ईशनिंदा के आरोपों में जेल भेज दिया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘तब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हस्तक्षेप किया और उन्हें आठ दिनों में छुड़वाया।’’ उन्होंने कहा कि भारत से आने वाले हर व्यक्ति को हिंदू समझा जाता है। भागवत ने कहा, ‘‘भारतीय संस्कृति को हिंदू संस्कृति के तौर पर जाना जाता है जो अपने मूल्यों, आचरण एवं संस्कृति को दर्शाती है।’’
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व विचारक के बी हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सामाजिक सुधार समेत हर आंदोलन में शामिल हुए थे और उन्होंने आरएसएस का गठन किया ताकि (विदेशी शासन काल के) 1500 से अधिक साल से चल रहीं सामाजिक कुरीतियों को जड़ से उखाड़ फेंका जाए और निस्वार्थ भाव, भेदभाव नहीं करने एवं समानता जैसे स्थायी मूल्य स्थापित किए जाएं।
भागवत ने कहा, ‘‘संघ पर देश को विश्व गुरु बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है और इसके लिए हमें सबको साथ लेकर चलना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश को सिर्फ देने की बात करें क्योंकि देश ने भी सब कुछ हमें दिया है। बिना किसी स्वार्थ के हमें देश के लिए काम करना है।’’ भागवत ने कहा, ‘‘कल हम सारे समाज को स्नेह पाश में बांधेंगे और समस्त देश में व्याप्त होंगे लेकिन इसके लिए हमें पूर्ण समर्पण, सदाचरण और समस्त विश्व के कल्याण की भावना से काम करना होगा।’’