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उमर ने नेशनल कॉन्फ्रेंस में विभाजन की अटकलों को किया खारिज

उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और हम अपने बड़े परिवार के भीतर अलग-अलग विचारों को महत्व देते हैं। हालांकि, कई बार चीजों को सार्वजनिक करने का निर्णय लेने से पहले हमें अपने बीच विचार-विमर्श करना बेहतर होता है।

Written by: Bhasha
Updated on: May 26, 2020 23:12 IST
Omar- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV (FILE PHOTO) उमर ने नेशनल कॉन्फ्रेंस में विभाजन की अटकलों को किया खारिज

नई दिल्ली/श्रीनगर. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपनी हालिया दिल्ली यात्रा के पीछे राजनीतिक वजह से इनकार करते हुए मंगलवार को इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी कुछ प्रमुख मुद्दों पर बंटी हुई है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया कि उनकी यात्रा का एक सलाहकार परिषद के प्रस्तावित गठन से कोई लेनादेना है, जिसके अध्यक्ष हाल ही में बनी ‘अपनी पार्टी’ के नेता अल्ताफ बुखारी हो सकते हैं।

उमर की टिप्पणी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं तनवीर सादिक और आगा रुहुल्ला मेहदी के बीच पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने से संबंधित घटनाक्रम को लेकर मतभेद की पृष्ठभूमि में आयी है। उमर का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, पिछले साल अगस्त में जो कुछ हुआ, उसे सभी कानूनी तरीके अपनाकर चुनौती देने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि सादिक और मेहदी के निजी हैसियत से दिये गये बयान पार्टी द्वारा पांच अगस्त के घटनाक्रम के संबंध में उच्चतम न्यायालय में और उसके बाहर व्यक्त किये गये रुख को बदलने वाले नहीं हैं। उमर के मुख्यमंत्री रहते उनके राजनीतिक सचिव रहे सादिक ने प्रदेश के आगे के रोडमैप पर लिखे एक लेख में अनुच्छेद 370 का कोई जिक्र नहीं किया था, जिस पर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मेहदी ने कहा, ‘‘इससे मेरे दिमाग में एक प्रश्न आता है। आपके लिए राजनीतिक प्रक्रिया क्या है? क्या केवल चुनाव? अगर हम किसी कारण से आगे बढ़ते हैं और अपने मुद्दे पर कायम रहते हैं तो हिरासत में लिये जाने के बाद भी हम एक राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं।’’

पिछले साल तीन अगस्त के बाद से पहली बार सोमवार को दिल्ली पहुंचे उमर ने कहा कि वह राजधानी आए क्योंकि ‘‘मुझे अलग माहौल में जाना था और कुछ चिकित्सा संबंधी जरूरतें थीं।’’ उमर ने कहा कि उनके दिल्ली दौरे में कुछ भी राजनीतिक नहीं था। उमर को पांच अगस्त से करीब आठ महीने हिरासत में रखा गया था। सादिक और मेहदी को अपना अहम सहयोगी और दोस्त बताते हुए उमर ने कहा कि दोनों को राय रखने और एक दूसरे से असहमति का हक है।

उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और हम अपने बड़े परिवार के भीतर अलग-अलग विचारों को महत्व देते हैं। हालांकि, कई बार चीजों को सार्वजनिक करने का निर्णय लेने से पहले हमें अपने बीच विचार-विमर्श करना बेहतर होता है। उमर ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने कई बार अपनी सलाह नहीं मानकर खुद को नुकसान पहुंचाया है।’’

सादिक ने एक लेख में महबूबा मुफ्ती, अली मुहम्मद सागर और शाह फैसल समेत सभी नेताओं की रिहाई की मांग की थी और सभी तरह के संचार साधन बहाल करने की जरूरत बताई थी। सादिक और जम्मू कश्मीर के पूर्व कैबिनेट मंत्री मेहदी के बीच ट्विटर पर वाद-विवाद शुरू हो गया था। तीन बार के विधायक और बडगाम के प्रभावशाली शिया नेता मेहदी ने ट्वीट किया था कि केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराना ही मुख्यधारा के नेताओं का एकमात्र लक्ष्य नहीं होना चाहिए।

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