श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करने के उनके रुख की पुष्टि भारत-सऊदी अरब के संयुक्त बयान में भी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तेल संपन्न सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के साथ मुलाकात के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया।
महबूबा ने टि्वटर पर लिखा, ‘‘युद्ध के लिए हो-हल्ले के बीच पाकिस्तान और भारत के बीच वार्ता के अनुकूल शर्तें तय करने पर भारत-सऊदी अरब का संयुक्त बयान स्वागत योग्य कदम है। युद्ध चाहने वालों के लिए संदेश स्पष्ट है। साथ ही दोनों देशों में निवेश का वादा करके एमबीएस निश्चित तौर पर हर किसी को खुश रखने की कला जानते हैं।’’
इससे पहले महबूबा ने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तरह सशस्त्र युद्ध के खिलाफ चेताने वाले उनके बयान पर पैदा हुई नाराजगी को समझ नहीं पाई। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बयान पर आज पैदा हुई नाराजगी को समझ नहीं पाई। जिसके भी पास थोड़ा दिमाग होगा वह खासतौर से दोनों देशों के बीच युद्ध की वकालत नहीं करेगा जो परमाणु शक्ति से संपन्न हैं। सभी टीवी एंकर युद्ध के लिए चिल्ला रहे हैं, मैं सुझाव देती हूं कि अपना बैग बांधो और सीमा पर हमारी सेना में शामिल हो जाओ।’’
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह यह देखकर खुश हैं कि मोदी सरकार ने यह पहचाना कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता संवाद है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर खुशी हुई कि जम्मू कश्मीर में हम जो कह रहे थे उसे मोदी सरकार ने माना कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता संवाद है तथा भारत और पाकिस्तान को सही माहौल पैदा करने के लिए काम करना होगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत-सऊदी अरब के संयुक्त बयान में ‘‘पाकिस्तान के साथ व्यापक संवाद बहाल करने के लिए शर्तें’’ तय करने के बारे में बात की गई। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जब हमारे में से कुछ लोग यह कहते हैं तो हमें विभिन्न टीवी स्टूडियो में राष्ट्र विरोधी और पाकिस्तानी एजेंट कहा जाता है।’’