नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंधु जल संधि पर आज एक बैठक बुलासकते हैं लेकिन इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जानकारी के मुताबिक बैठक में संधि के फायदे और नुकसान पर चर्चा की जाएगी। यह संधि 56 साल पहले की गयी थी जिसके तहत भारत और पाकिस्तान छह नदियों का पानी बांटते हैं।
जल संसाधन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के इस तरह की कोई भी बैठक बुलाने की जानकारी होने से इनकार किया।
उड़ी हमले के बाद से भारत में लगातार संधि को रद्द करने की मांगें हो रही हैं ताकि इस हफ्ते की शुरूआत में उरी में हुए आतंकी हमले को देखते हुए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा सके।
1960 में हुआ था समझौता
1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी शासक अयूब खान में समझौता हुआ था। इसके तहत सिंधु बेसिन में बहने वाली छह नदियों में से सतलुज, रावी और व्यास पर तो भारत का पूर्ण अधिकार है। वहीं पश्चिमी हिस्से की सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का भारत सीमित इस्तेमाल कर सकता है।