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अविश्वास प्रस्ताव: विपक्षी दलों ने TDP से कहा- सिर्फ आंध्र के विशेष दर्जे का मामला ही नहीं और भी मुद्दे उठाए जाएं

गुलाम नबी आजाद के साथ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने चर्चा की। इसमें सहमति बनी कि जब अविश्वास प्रस्ताव पर अन्य पार्टियां टीडीपी का समर्थन कर रही हैं तो उसे भी बदले में उनके द्वारा उल्लेखित मुद्दों को सदन में उठाना चाहिए।

Edited by: India TV News Desk
Published on: July 19, 2018 20:12 IST
ghulam nabi azad- India TV Hindi
ghulam nabi azad

नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने टीडीपी से लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की अपनी मुख्य मांग के साथ-साथ अन्य बड़े मुद्दे जैसे भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या और जातीय हिंसा को भी उठाने को कहा है। सरकार पर विपक्ष के संयुक्त हमले की रणनीति के तहत ये मुद्दे उठाने को कहा गया है।

एक वरिष्ठ नेता के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के साथ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने चर्चा की। इसमें सहमति बनी कि जब अविश्वास प्रस्ताव पर अन्य पार्टियां टीडीपी का समर्थन कर रही हैं तो उसे भी बदले में उनके द्वारा उल्लेखित मुद्दों को सदन में उठाना चाहिए। वरिष्ठ नेता ने कहा, "हमने टीडीपी के साथ अपनी पिछली बैठक में इस बात पर चर्चा की थी कि आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की अपनी मुख्य मांग के साथ-साथ उसे अन्य विपक्षी दलों के मुद्दों जैसे भीड़ द्वारा पीटकर हत्या, जातीय हिंसा और किसानों की खुदकुशी को भी उठाना चाहिए। इससे निश्चित ही यह स्पष्ट होगा कि समूचा विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट है।"

यह पूछे जाने पर कि सरकार में शामिल नेताओं का कहना है कि उनके पास संख्या है और अविश्वास प्रस्ताव सदन में गिर जाएगा, सीपीआई (एम) के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, अविश्वास प्रस्ताव उन मुद्दों को जिनसे जनता जूझ रही है उन्हें संसद में उठाने और चर्चा कराने का जरिया है। सलीम ने कहा, "यह सवाल हार और जीत का नहीं है। सरकार जानबूझकर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह कह रही है कि विपक्ष का प्रस्ताव गिर जाएगा। वे यह दिखाना चाहते हैं कि चूंकि विपक्ष हार रहा है इसलिए उसके द्वारा जो मुद्दे चर्चा के लिए लाए जा रहे हैं वे भी किसी काम के नहीं है।"

सलीम ने कहा 15 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन यह अविश्वास प्रस्ताव 2019 के चुनाव से पहले विपक्ष की एकता की पहली परीक्षा होगी।

विपक्ष इस अवसर के जरिए मोदी सरकार की विफलता का संदेश देते हुए लोकसभा चुनाव से पहले अपने लिए ताकत जुटाने का प्रयास करेगा।

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