नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गाजियाबाद केस में ट्विटर के रुख पर सवाल उठाया है, हालांकि साथ ही यह भी कहा है कि सोशल मीडिया साइट को बंद करने का उसका कोई इरादा नहीं है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि Twitter ने दंगा भड़काने वाले ट्वीट की जांच क्यों नहीं की। रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि सरकार ट्विटर बंद करने के पक्ष में नहीं है लेकिन भारत में मुनाफा कमाने आए ट्विटर को गाइडलाइंस का भी पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि ट्विटर नियमों का पालन करे और हमें लोकतंत्र की नसीहत न दे।
इंडिया टीवी के साथ एक खास बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनका इस मसले पर ट्विटर से टकराव का कोई इरादा नहीं है। इस सवाल पर कि तमाम नोटिस दिए जाने के बाद भी ट्विटर टकराव के रास्ते पर क्यों है, प्रसाद ने कहा, 'देखिए, हमारा कोई टकराव का इरादा नहीं है। हमने व्यापक विमर्श, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, संसद के निर्देश के बाद ये कानून बनाया है।' उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं के सम्मान को ठेस, सांप्रदायिक कंटेंट आदि पर शिकंजा कसने के लिए यह कानून बनाया गया है, ऐसे में इसके गाइडलाइंस को लागू करने में क्या दिक्कत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ट्विटर हमें लोकतंत्र की नसीहत न दे।
जब प्रसाद से पूछा गया कि हमारे देश के कानून का पालन न करने पर ट्विटर को बंद क्यों नहीं कर दिया गया, प्रसाद ने कहा, 'हम इसे बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। कानून का पालन तो करना पड़ेगा।' वहीं, ट्विटर पर ऐक्शन के बहाने प्राइवेसी का मामला उठाकर सरकार पर सवाल उठाने वाले विपक्ष पर भी रविशंकर प्रसाद ने बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्ष अब ट्विटर की राजनीति करने लगा है। विपक्ष के आरोपों पर प्रसाद ने कहा कि कुछ लोग जो ट्विटर से अपनी राजनीति करते हैं वे अब ट्विटर की राजनीति कर रहे हैं।