नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद में स्वीकार किया है कि नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री शेल माग्ने बोंदेविक ने बीते 23 नवंबर को जम्मू-कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान अलगाववादी संगठनों के गठबंधन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं से मुलाकात की और वह पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) भी गए। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि बोंदेविक की कश्मीर यात्रा और वहां उनकी ओर से की गई बैठकें आयोजित करने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जावेद अली खान के सवाल के लिखित जवाब में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन को बताया कि उपलब्ध सूचना के मुताबिक नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री बोंदेविक बेंगलूर स्थित आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर (वेद विज्ञान महा विद्यापीठ) के न्योते पर भारत की ‘‘निजी यात्रा’’ पर आए थे। सुषमा ने बताया, ‘‘प्राप्त सूचना के अनुसार, उन्होंने (बोंदेविक ने) 23 नवंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर की यात्रा की और कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, जम्मू-कश्मीर युवा विकास मंच, ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह भी सूचना मिली है कि उन्होंने (बोंदेविक ने) 24 से 27 नवंबर 2018 तक पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर की यात्रा की।’’ सुषमा ने स्पष्ट किया कि बोंदेविक की जम्मू-कश्मीर यात्रा या वहां उनकी ओर से की गई बैठकें आयोजित कराने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार के इस दृढ़ और सैद्धांतिक पक्ष में कोई बदलाव नहीं आया है कि भारत और पाकिस्तान अपने सभी लंबित द्विपक्षीय मुद्दों को शिमला समझौता (1972) और लाहौर घोषणा (1999) के अनुसार सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका अथवा मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है।’’