पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजग में किसी तरह के दरार होने को खारिज करते हुए कहा कि गठबंधन अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करके सत्ता में आएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग जेडीयू और उसकी गठबंधन सहयोगी भाजपा के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, उनका बुरा हाल होने वाला है।
जनता दल (यूनाइटेड) की एक राज्य परिषद बैठक को संबोधित कर रहे नीतीश ने अपने विरोधियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जिन लोगों में ‘राजनीतिक सूझबूझ की कमी’ है वह उन पर निजी हमले करके प्रचार पाने की कोशिश करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनमें से कुछ लोगों ने बेशर्मी से यह स्वीकार किया है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह उनकी यूएसपी (खासियत) है।’’ कुमार ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वह उनके खिलाफ की जाने वाली ‘निंदात्मक’ टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने से बचें।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं अपने पार्टी प्रवक्ता को सलाह दूंगा कि वह इसमें न पड़ें।’’ कुमार ने कहा, ‘‘2010 का विधानसभा चुनाव याद करने की कोशिश करें। आशंका जताई गई थी कि हमें बहुमत नहीं मिलेगा लेकिन हम 243 सीटों में से 206 सीट पर जीत गए थे। आश्वस्त रहें कि हमें अगले साल 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी।’’
राजग को लोकसभा चुनाव में 40 सीटों में से 39 पर जीत मिली थी। राज्य में 2020 के अंत में चुनाव होगा। उन्होंने कहा कि जद (यू) और भाजपा के बीच सब कुछ ठीक है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे बहुत लोग हैं जो यह सोचते हैं कि हमारे गठबंधन में घचपच (कुछ गड़बड़ी) है। ऐसा नहीं हैं। और जो गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं उनका बुरा हाल होने वाला है।’’
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार का यह बयान कुछ भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयानों के बाद आया है। कुछ भाजपा नेताओं का कहना था कि अगले साल होने वाले चुनाव में भाजपा अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार पेश करे। कुमार 2005 से ही जदयू-भाजपा गठबंधन के साथ सत्ता में हैं। 2013 में कुमार भाजपा से अलग हो गए थे और राजद सुप्रीमो प्रसाद के साथ 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले जुड़ गए थे। हालांकि 2017 में वह फिर वापस राजग में आ गए।
बिहार में भाजपा नीत राजग में रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल है। कुमार ने परोक्ष रूप से राजद पर और उसके नेता तेजस्वी यादव पर बिना नाम लिए हुए टिप्पणी भी की। राजद के कुछ दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन को देखते हुए कुमार के साथ नया गठबंधन बनाने की बात करने लगे थे। हालांकि, इस प्रस्ताव को तेजस्वी यादव ने सिरे से खारिज कर दिया था। यादव महागठबंधन के छोटे कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री पद पर रहे थे।
विदित हो कि तेजस्वी के खिलाफ धनशोधन मामला होने की वजह से उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही थी जिसे उन्होंने मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अचानक कुमार महागठबंधन से बाहर निकल गए। कुमार ने कहा, ‘‘उनके कुछ नेता कहते हैं कि फिर से कुछ तय करें। वहीं दूसरा कहता है कि इसकी जरूरत नहीं है। कौन उनके बारे में सोच रहा है।’’ उन्होंने कहा कि उनका और जदयू का यह फलसफा रहा है कि वह काम में विश्वास करते हैं। कुमार ने कहा, ‘‘ इतने समय से पार्टी सत्ता में है और हमने समाज के किसी भी तबके को नजरअंदाज नहीं किया है। हम अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर मीडिया में हमारा नकारात्मक प्रचार होता है तो उससे न डरें। हमें उन लाखों लोगों का समर्थन हासिल है जो भले ही सार्वजनिक तौर पर अपना विचार नहीं व्यक्त करते हों लेकिन हमारे समर्थन में मतदान करते हैं।’’ इससे पहले कार्यक्रम में वशिष्ठ नारायण सिंह को राज्य इकाई का तीसरी बार लगातार अध्यक्ष चुन लिया गया। जदयू की राज्य परिषद की बैठक में शीर्ष पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।