घोश्वारी-बैजना (मोकामा): तीसरे मोर्चे के समर्थन के बिना बिहार में कोई सरकार नहीं बनने का दावा करते हुए मधेपुरा से विवादास्पद सांसद पप्पू यादव ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों गठबंधनों में से किसी के भी बिहार चुनाव में बहुमत हासिल करने की संभावना नहीं है। विधानसभा चुनाव से पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद से राहें जुदा करने वाले राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राष्ट्रीय जनाधिकार पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं और पिछले 15 वर्षो में राजनीति में अपना स्थान बनाने में सफल रहे हैं। जो तीसरे मोर्चे के घटक दल के रूप में लड़ रही है। उनका मानना है कि चुनावों में न तो राजग को और न ही महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा और ऐसी स्थिति में शीर्ष पद के लिए अपना नाम आगे किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
यह दावा करते हुए कि गरीबों और युवाओं के चेहरों पर केवल वह ही मुस्कान ला सकते हैं, उन्होंने कहा कि सरकार बनाने के लिए किसी भी गठबंधन को उनका समर्थन करना चाहिए। यादव ने कहा, सभी जातियों के लोग उन दोनों-महागठबंधन और भाजपा से निराश हैं। इनमें से किसी को बहुमत मिलने का कोई प्रश्न ही नहीं है। तीसरे मोर्चे के समर्थन के बिना कोई भी गठबंधन सरकार बनाने में सफल नहीं होगा। पप्पू यादव ने कहा कि बिहार में नरेंद्र मोदी की कोई लहर नहीं है जिस पर राज्य भाजपा मुख्यत: टिकी थी तथा नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का गठबंधन काम नहीं कर रहा है।
मोकामा के यादव बहुल घोश्वारी-बैजना में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, पप्पू यादव के बिना कोई भी सरकार बनाने में सफल नहीं होगा। यदि ऐसा होता है तो मैं एक साल के भीतर क्षेत्र के लोगों की जिन्दगी बदल दूंगा। पांचवीं बार के सांसद पप्पू यादव ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू अध्यक्ष शरद यादव को हराया था। राजद से निष्कासित किए जाने के बाद पहले उनकी नजर भाजपा से गठबंधन करने पर थी, लेकिन अंत में वह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाले छह दलों के गठबंधन में शामिल हो गए। यह गठबंधन राज्य में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है।
मुलायम सिंह के यह कहे जाने के बाद कि वह बिहार में भाजपा की सरकार देखना चाहते हैं, राकांपा उनके नेतृत्व वाले गठबंधन से अलग हो गई थी। राकांपा के नेता तारिक अनवर को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। पप्पू पूर्णिया से तीन बार और मधेपुरा से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए और कहा जाता है कि कोसी-सीमांचल क्षेत्र में उनका काफी दबदबा है। पप्पू राज्य का तूफानी दौरा कर रहे हैं और खुद को युवाओं का खासकर यादवों के बीच का नेता प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव बैठकों के मामले में वह अपने राजनीतिक गुरु रहे लालू पर भारी पड़ रहे हैं। अपने 15 साल के राजनीतिक करियर में वह तेजी से पार्टी बदलते रहे हैं। वह लोजपा से सपा और फिर राजद में गए तथा अब वह नई पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।