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अविश्वास प्रस्ताव: मोदी पर विश्वास या अविश्वास? बीजेपी को जीत का भरोसा, पीएम मोदी के भाषण पर टिकीं निगाहें

देश की संसद के इतिहास में आज बेहद अहम दिन है। आज संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। चर्चा कुल सात घंटे चलेगी इसलिए आज संसद में कोई प्रश्नकाल या लंच नहीं होगा। यानी आज संसद नॉनस्टॉप चलेगा। अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को तो कोई खतरा नहीं दिख रहा है लेकिन सवाल ये है कि इस अविश्वास प्रस्ताव में कौन किसके साथ खड़ा रहेगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : July 20, 2018 6:45 IST
No Confidence Motion | Modi Govt vs Oppn debate in House: All eyes on PM Modi's speech as BJP confid
No Confidence Motion | Modi Govt vs Oppn debate in House: All eyes on PM Modi's speech as BJP confident of victory

नई दिल्ली: देश की संसद के इतिहास में आज बेहद अहम दिन है। आज संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। चर्चा कुल सात घंटे चलेगी इसलिए आज संसद में कोई प्रश्नकाल या लंच नहीं होगा। यानी आज संसद नॉनस्टॉप चलेगा। अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को तो कोई खतरा नहीं दिख रहा है लेकिन सवाल ये है कि इस अविश्वास प्रस्ताव में कौन किसके साथ खड़ा रहेगा। 2014 में सत्ता में आने के बाद से भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार पिछले चार सालों में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इस प्रस्ताव पर सदन में आज चर्चा होनी है। यह चर्चा दिनभर चलेगी और इसके बाद वोटिंग की जाएगी।

बुधवार को मॉनसून सत्र के पहले दिन लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष की कई पार्टियों द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया और तेलुगूदेशम पार्टी के केसिनेनी श्रीनिवास को अपना प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा। महाजन ने नोटिस को स्वीकार करते हुए कहा, ’50 से ज्यादा सदस्य प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए यह प्रस्ताव सदन में स्वीकार किया जाता है।’। जीरो आवर के दौरान महाजन ने टीडीपी, कांग्रेस और एनसीपी के उन सभी सदस्यों का नाम लिया, जिन्होंने इस प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश किया था।

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव एक बयान या वोट होता है जो बताता है कि सरकार अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रही है, या ऐसे निर्णय ले रही है जो सदन के अन्य सदस्यों को हानिकारक लगता है या जब विपक्ष को लगता है कि सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। एक संसदीय प्रस्ताव के रूप में, यह प्रधानमंत्री को दर्शाता है कि निर्वाचित की गई संसद को नियुक्त की गई सरकार में विश्वास नहीं है।

यह कैसे काम करता है
अविश्वास प्रस्ताव को सिर्फ संसद के निचले सदन यानी कि लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन के कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है, जिसके बाद स्पीकर इसे स्वीकार करते हैं। यदि प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो इस पर चर्चा के बाद वोटिंग कराई जाती है। यदि सदन में हुई वोटिंग में बहुमत प्रस्ताव के साथ होता है तो यह पास हो जाता है और सरकार गिर जाती है।

भारत में पहला अविश्वास प्रस्ताव किसने पेश किया था
भारत में पहला अविश्वास प्रस्ताव आचार्य कृपलानी ने अगस्त 1963 में पेश किया था। यह प्रस्ताव भारत-चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध के तुरंत बाद पेश किया गया था।

संसद में अब तक कितने अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए हैं
संसद में आज तक कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए हैं। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कुल 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, जबकि लाल बहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव के खिलाफ तीन-तीन बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए। वहीं मोरारजी देसाई को दो बार, जबकि जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी को एक-एक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे। भारत के राजनीतिक इतिहास में सिर्फ एक बार ऐसा मौका है जब अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार गिरी हो। 12 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बहस के बाद इस्तीफा दे दिया था।

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया विपक्ष
विपक्षी पार्टियों ने कई मुद्दों पर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया जिनमें आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा, गोरक्षकों का उत्पात, मॉब लिंचिंग, महिलाओं एवं दलितों पर अत्याचार और देश भर में रेप की घटनाएं शामिल हैं। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को पिछले बजट सत्र के दौरान अनुमति नहीं मिली थी और पूरा सत्र टीडीपी, टीआरएस और कुछ अन्य पार्टियों के सदस्यों द्वारा किए गए हंगामों की भेंट चढ़ गया था।  

सरकार के सामने क्या है रास्ता
नरेंद्र मोदी की सरकार ने कहा है कि वह सदन में विभिन्न विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है क्योंकि उसके पास पर्याप्त संख्याबल मौजूद है। एक केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को कहा, ‘पूरे देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास है।’

आंकड़ों का खेल
535 सदस्यीय सदन में इस समय भारतीय जनता पार्टी के पास (2 मनोनीत सदस्यों और लोकसभा अध्यक्ष को मिलाकर) कुल 274 सदस्य हैं। संसद के निचले सदन में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल पार्टियों के कुल 311 सदस्य हैं।

जानें, 16वीं लोकसभा में विभिन्न पार्टियों की सदस्य संख्या
कुल सदस्य: 535 (लोकसभा अध्यक्ष सहित)
खाली सीटें: 10
1. अनंतनाग (जम्मू और कश्मीर)
2. बेल्लारी (कर्नाटक)
3. कडापा (आंध्र प्रदेश)
4. कोट्टयम (केरल)
5. मांड्या (कर्नाटक)
6. नेल्लोर (आंध्र प्रदेश)
7. ओंगोल (आंध्र प्रदेश)
8. राजमपेट (आंध्र प्रदेश)
9. शिमोगा (कर्नाटक)
10. तिरुपति (सुरक्षित) (आंध्र प्रदेश)

मनोनीत सदस्य: 2
1. जॉर्ज बेकर (भारतीय जनता पार्टी) – पश्चिम बंगाल
2. प्रोफेसर रिचर्ड हे (भारतीय जनता पार्टी) -  केरल

सरकार के पक्ष में वोट डाल सकती हैं ये पार्टियां
1. भारतीय जनता पार्टी (BJP) : 271
2. लोक जनशक्ति पार्टी (LJSP): 6
3. शिरोमणि अकाली दल (SAD): 4
4. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP): 3
5. अपना दल: 2
6. जनता दल युनाइटेड:  2
7. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी: 1
8. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP): 1
9. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF): 1
10. स्वाभिमानी पक्ष (SWP): 1
11. पत्तली मक्कल काची (PMK): 1
12. ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (AINRC): 1
13. शिवसेना: 18
लोकसभा के 545 सदस्यों में से 311 सदस्यों द्वारा सरकार के पक्ष में वोट किए जाने की संभावना है।

वोटिंग से दूर रह सकती हैं ये पार्टियां:
1. ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेड़ कषगम (AIADMK): 37
2. बीजू जनता दल (BJD): 20
AIADMK और BJD शुक्रवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वोटिंग से दूर रह सकती हैं। यदि ऐसा होता है तो सीटों की संख्या 545 से घटकर 488 पर आ जाएगी क्योंकि इन दोनों के कुल मिलाकर 57 लोकसभा सांसद हैं।

अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के खिलाफ हैं ये पार्टियां:
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC): 48
2. ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC):   34
3. समाजवादी पार्टी (SP): 7
4. आम आदमी पार्टी (AAP): 4
5. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP): 7
6. तेलुगूदेशम पार्टी (TDP): 16
7. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी : 9
8. राष्ट्रीय जनता दल (RJD): 4
9. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM): 2
10. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी: 1
11. नेशनल कॉन्फ्रेंस: 1
12. जनता दल सेक्युलर: 1
13. राष्ट्रीय लोकदल (RLD): 1
अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 135 सदस्य मतदान कर सकते हैं।
हालांकि शुक्रवार को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बहस से पहले तेलुगूदेशम पार्टी के सामने संकट की स्थिति पैदा हो गई है। अनंतपुरमु से पार्टी के सांसद जेसी दिवाकर रेड्डी ने कहा है कि वह अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग से दूर रहेंगे। वहीं जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के नेता पप्पू यादव, जो कि बिहार के मधेपुरा से लोकसभा सांसद हैं, को राष्ट्रीय जनता दल से 2015 में निकाल दिया गया था। यदि जेसी दिवाकर रेड्डी और पप्पू यादव अनुपस्थित रहने या अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने का फैसला करते हैं तो विपक्षी पार्टियों का संख्याबल घटकर 133 पर आ जाएगा।

इन पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव पर नहीं खोले हैं पत्ते:
1. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी:   4
2. निर्दलीय: 3 
3. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML):  2
4. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP): 1
5. रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP): 1
6. ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF): 3
7. इंडियन नेशनल लोकदल (INLD): 2
8. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM): 1
9. तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS): 11
इन पार्टियों से कुल मिलाकर 28 लोकसभा सदस्य हैं।

मोदी सरकार बनाम विपक्ष: किसे मिलेगा लाभ

अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को पूरे दिनभर चलनेवाली बहस की शुरुआत सुबह 11 बजे से होगी। यह चर्चा करीब सात घंटे तक चलेगी। अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी चर्चा का जवाब देंगे। 

उधर, तमाम विपक्षी दल संयुक्त तौर पर सत्तारूढ गठबंधन और देश के लोगों के सामने एक ऐसी तस्वीर रखने की कोशिश करेंगे कि वे नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हैं। विपक्षी दल के नेता जरूरी चीजों की कीमतों में बढोतरी, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेलों की कीमत कम होने के बावजूद घरेलू बाजार में ईंधन की बढ़ती कीमतें, मॉब लिंचिंग के मामले, जम्मू-कश्मीर का मुद्दा, विदेश नीति, दिल्ली में सत्ता (सरकार बनाम एलजी) का संघर्ष, स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा पैसों में बढ़ोतरी, जीएसटी और नोटबंदी का प्रभाव, पीएनबी घोटाला, आर्थिक अपराधियों का भारत से भागना, दलितों के खिलाफ अत्याचार, महिला सुरक्षा और देश में रेप के बढ़ते मामले इत्यादि पर एनडीए सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही यह ऐलान कर चुके हैं कि शुक्रवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान वे भी बोलेंगे। 

लेकिन सभी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर टिकी रहेंगे। पीएम मोदी अपने भाषण में विपक्षी दलों की कमजोरियों का उल्लेख कर सकते हैं। वहीं राहुल गांधी के कथित बयान कि कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है, का हवाला देकर कांग्रेस की छवि एक सांप्रदायिक दल के तौर पर पेश कर सकते हैं। वे अविश्वास प्रस्ताव पर इस बहस के दौरान पिछले चार साल में अपनी सरकार द्वारा किए गए कामों का उल्लेख कर सकते हैं जिसके बारे में उनकी पार्टी दावा करती है कि सरकार के इन प्रयासों से ग्रामीण भारत में गरीबों की जिंदगी में परिवर्तन हुआ है। 

16वीं लोकसभा में मौजूदा संख्याबल के आधार पर एनडीए अविश्वास प्रस्ताव को गिराने में सफल रहेगी। फिर भी बीजेपी विपक्षी दलों को अवसरवादी गठबंधन करार देने का पूरा प्रयास करेगी जिसके पास नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने के सिवा कोई कॉमन एजेंडा और विचारधारा नहीं है।

टेलीविजन पर प्रसारित प्रधानमंत्री मोदी का भाषण हमेशा से लोगों को आकर्षित करता है और वे इस अवसर का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। साथ ही विपक्ष को यह संदेश भी देने की कोशिश करेंगे कि वे आज भी अपराजेय हैं। 

उपरोक्त आलेख में व्यक्त राय जरूरी नहीं है कि इंडिया टीवी के संपादकीय टीम के विचारों का प्रतिनिधित्व करें। इस आलेख के कंटेंट के लिए इंडिया टीवी जिम्मेदार नहीं हैं। लेखक प्रत्युष रंजन को ट्विटर पर फॉलो करें- Twitter @pratyush_ranjan

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