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चमकी बुखार: मुजफ्फरपुर पहुंचे CM नीतीश कुमार के सामने लगे मुर्दाबाद के नारे, अधिकारियों संग की मीटिंग

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार कहे जाने वाले अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से से अभी तक 108 बच्चों की मौत की खबर है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : June 18, 2019 12:59 IST
Nitish Kumar visits Muzaffarpur to meet encephalitis patients | PTI
Nitish Kumar visits Muzaffarpur to meet encephalitis patients | PTI File

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार कहे जाने वाले अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से से अभी तक 108 बच्चों की मौत की खबर है। इस खतरनाक बीमारी के फैलने और 100 से ज्यादा बच्चों की जान जाने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर पहुंचे। नीतीश मुजफ्फरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मरीजों एवं उनके परिवार से हालचाल ले रहे थे, जबकि बाहर लोग ‘नीतीश कुमार मुर्दाबाद’ और ‘नीतीश हाय-हाय’ के नारे लगा रहे थे। लोगों का आरोप था कि इतने बड़े पैमाने पर इस गंभीर बीमारी के फैलने के बावजूद अभी तक सही से इलाज नहीं हो रहा है।

लोगों ने कहा- नीतीश को वापस चले जाना चाहिए

नारे लगा रहे लोग नीतीश कुमार और उनकी ‘सुशासन’ वाली सरकार से काफी नराज दिखे। लोगों का कहना था कि बच्चों का इलाज सही से नहीं हो रहा है और रोज ही उनकी जान जा रही है। उन्होंने कहा नीतीश अब क्यों जागे हैं, उनको यहां से वापस चले जाना चाहिए। नीतीश ने चमकी बुखार या इनसेफ्लाइटिस को लेकर डॉक्टरों और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी की। आपको बता दें कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के बावजूद 2 हफ्तों से ज्यादा समय तक नीतीश का मुजफ्फरपुर न आना सवालों के घेरे में आ गया था। लोगों के विरोध को देखते हुए अस्पताल और आसपास की सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई।

सरकार और प्रशासन दोनों रहे नाकाम
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से जर्जर है, गांव में स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव है और जहां केंद्र है, वहां डॉक्टर नहीं है। अज्ञात बुखार के बारे में जांच, पहचान एवं स्थाई उपचार के लिये स्थानीय स्तर पर एक प्रयोगशाला स्थापित करने की मांग लंबे समय से मांग ही बनी हुई है, लेकिन इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया। वहीं, एक डॉक्टर के मुताबिक अस्पताल में इस समय मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हम भले ही एक बेड पर 2 मरीज रख रहे हैं लेकिन उनका इलाज लगातार जारी है। आपको बता दें कि 2000 से 2010 के दौरान इस बीमारी की चपेट में आकर 1000 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। सबसे खतरनाक बात यह है कि अभी तक इस बीमारी की साफ वजह पता नहीं चल पाई है।

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