नई दिल्ली: नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू चार साल बाद फिर से एनडीए में शामिल हो गई। पटना में हुई जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया। हालांकि यह पहले से ही तय माना जा रहा था कि नीतीश कुमार जल्द एनडीए का हिस्सा बनेंगे। वहीं एनडीए में शामिल होने के नीतीश के फैसले के खिलाफ आज शरद यादव समर्थकों ने नीतीश कुमार के घर के बाहर हंगामा किया। जिस वक्त ये हंगामा हो रहा था नीतीश कुमार के घर पर जेडीयू की बैठक चल रही थी। हालांकि, पुलिस ने उन्हें जल्द ही काबू में करके वहां से हटा दिया। ये भी पढ़ें: ‘नेहरू नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे देश के पहले प्रधानमंत्री’
जेडीयू की बैठक में शरद यादव को भी बुलाया गया था ताकि वह भाजपा के साथ गठबंधन के फैसले पर अपनी राय रख सकें लेकिन पहले से ही बगावत का झंडा बुलंद कर चुके शरद यादव और उनके सहयोगी अनवर अली ने साफ कह दिया है कि असली जेडीयू तो उनके साथ है। शरद यादव के करीबी नेता भी एस के मेमोरियल हॉल में जन अदालत नाम का एक कार्यक्रम करने वाले हैं।
दोनों बैठकों से साफ हो जाता है कि जदयू में दरार पड़ चुकी है और पार्टी टूट की ओर बढ़ रही है। बहरहाल, जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि पार्टी में कोई दरार नहीं है और शरद यादव स्वेच्छा से छोड़कर गए हैं। त्यागी ने बताया कि मुख्यमंत्री के एक अणे मार्ग स्थित आवास पर पार्टी का आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पार्टी को पहले 23-24 जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित करनी थी। लेकिन बाद में तारीख बदलकर 19 अगस्त कर दी गयी और बैठक का स्थान बदलकर पटना कर दिया गया।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी का एजेंडा पूछे जाने पर त्यागी ने कहा कि इसमें महागठबंधन से अलग होने और राज्य हित में भाजपा के साथ सरकार बनाने के पार्टी के बिहार इकाई के फैसले को मंजूरी दी जाएगी। नीतीश ने साफ कर दिया था कि पार्टी की बिहार इकाई की इच्छा के मुताबिक वह जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन से बाहर निकले हैं। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग में जदयू बिहार की क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर पंजीकृत है। त्यागी ने कहा कि पार्टी को राजग में शामिल करने के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के न्यौते पर भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी अपनी सहमति देगी।
बिहार में जेडीयू के महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद पार्टी में छिड़े घमासान के बाद शनिवार को शरद यादव पर कार्रवाई की जा सकती है। बागी रुख अपनाए शरद यादव की पार्टी से छुट्टी भी हो सकती है। साथ ही यह भी लगभग तय माना जा रहा है कि शरद खेमे के नेताओं पर भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।