पटना : बिहार सरकार के पटना एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को वहां मौजूद आम और लीची का आनंद लेने से रोकने के लिए 24 पुलिसकर्मियों की तैनाती से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके पूर्व उत्तराधिकारी रहे मांझी के बीच एक नया विवाद हो गया है।
मांझी जो कि फरवरी महीने में मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री आवास में रह रहे हैं जबकि नीतीश 7 सकुर्लर रोड स्थित एक सरकारी आवास में रह रहे हैं।
हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (हम) के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया है कि मांझी या उनके परिजन अपने वर्तमान आवास से आम, कटहल या लीची न तोड़ लें इसके लिये एक अणे मार्ग में 8 अवर निरीक्षक और 16 आरक्षियों की तैनाती की गयी है।
उन्होंने नीतीश पर जनता से ज्यादा एक अणे मार्ग के फलों और सब्जियों की चिंता होने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर प्रदेश में जहां आपराधिक घटनाओं के ग्राफ में इजाफा हुआ है, सरकार इसे रोकने के लिये ठोस कदम उठाने के बजाये मांझी को प्रताड़ित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।
रिजवान ने एक अणे मार्ग में मांझी को रहने के लिये आवास के सिवा राज्य सरकार पर अन्य कोई सुविधा नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका फोन और टीवी केबल कनेक्शन पहले ही कटवा दिया गया है और अब इन पुलिसकर्मियों का पहरा लगवाकर आवास में उपजने वाले फल और सब्जियों से भी दलित नेता मांझी को वंचित किया जा रहा है।
नीतीश कुमार के अनुचर से आलोचक बने जीतन राम मांझी से जब इस बारे में प्रतिक्रिया जाने की कोशिश की गयी तो उन्होंने कहा कि उनसे मिलने बड़ी संख्या में गरीब आते हैं और वे फलों को तोड़ न लें उससे रोकने के लिए यह सुरक्षा व्यवस्था की गयी होगी।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसे नीतीश के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक महादलित को अपमानित किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विचित्र स्थिति है कि एक व्यक्ति जो कि किसी बंगले में रह रहा हो, उसे वहां के पेड़ों पर लगने वाले फलों का सेवन करने से वंचित कर दिया जाए।
वहीं नीतीश सरकार का समर्थन कर रहे आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को प्राथमिकता देने के बजाए सरकार का आम और लीची की सुरक्षा को महत्व दिया जाना उनकी समझ से परे है।