बेंगलुरू: केंद्र सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को करोड़ों रुपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा संसद जेपीसी से जांच नहीं कराती है तो अगली संसद जांच का आदेश देगी। चिदंबरम ने यहां पार्टी कार्यालय पर संवाददाताओं से कहा, "अगर वर्तमान संसद जेपीसी का गठन नहीं करती है, तो अगली संसद में राफेल मामले की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया जाएगा।"
चिदंबरम ने कहा कि 2019 के आम चुनाव में राफेल एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा, साथ ही यह हाल में हुए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में भी एक जीवंत मुद्दा था। उन्होंने कहा, "यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) शासन में 126 विमानों की खरीद का अनुबंध किया गया था, जबकि वर्तमान सरकार मात्र 36 विमानों के लिए 60 हजार करोड़ रुपये चुका रही है। इस रक्षा सौदे को बिना चुनौती दिए और बिना जांच के यूं ही छोड़ा नहीं जा सकता।"
एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय को घोखा देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "हम अपनी बात को जनता तक ले जाएंगे और उनसे राफेल सौदे की जांच के लिए कांग्रेस पार्टी की जेपीसी की मांग का समर्थन करने के लिए कहेंगे।" पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की जेपीसी जांच की मांग के बाद चिदंबरम ने भी यह मांग की।
कांग्रेस नेता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपना फैसला रक्षा खरीद के विभिन्न पहलुओं के उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के आधार पर दिया है। चिदंबरम ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के विभिन्न बयानों और दावों को सच मान लिया और पेश किए गए तथ्यों को जांचने की जरूरत नहीं समझी। इस प्रक्रिया में अदालत ने एक बड़ी गलती यह की कि उसने इस बात को सच मान लिया कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने सौदे की जांच कर ली है।"
पूर्व वित्तमंत्री ने आरोप लगाया कि सरकार ने अदालत को जानबूझकर गुमराह किया। सीएजी ने लड़ाकू विमान सौदे पर अभी अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार भी नहीं की है। कांग्रेस नेता ने लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए पिछली संप्रग सरकार द्वारा की गई बातचीत को आगे न बढ़ाकर उसे रद्द कर देने और दसॉ के साथ नया समझौता करने की सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया।