पटना: केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने उत्तर प्रदेश एवं बिहार के उपचुनावों में खराब प्रदर्शन को देखते हुए आज राजग नेताओं से बिना सोचे समझे टिप्पणी करने से बचने और चुनाव के दौरान‘‘ ज्यादा होशियारी’’ बरतने को कहा। उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ राजग के कुछ नेताओं द्वारा समय-समय पर की जाने वाली टिप्पणियों को लेकर चिंता जताई क्योंकि उनसे ऐसा संदेश गया है कि गठबंधन समाज के कुछ वर्गों के खिलाफ है। पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) राजग में भाजपा की एक अहम सहयोगी है।
गौरतलब है कि अररिया लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए नौ मार्च को भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करते हुए पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कथित रूप से कहा था कि राजद उम्मीदवार के चुनाव जीतने पर अररिया आतंकी संगठन आईएसआईएस का गढ़ बन जाएगा। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए राय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसी तरह उपचुनाव में भाजपा के हारने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अररिया‘‘ आतंकवाद का गढ़’’ बन जाएगा जिसे लेकर उनकी कड़ी आलोचना हुई।
पासवान ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में विकास के बारे में बात करने की बजाए‘‘ सामाजिक रणनीति’’ एक ठोस चुनावी मुद्दा माना जाता है और अपने पारंपरिक गढ़ गोरखपुर में उपचुनाव में भाजपा की ‘‘हैरान करने वाली’’ हार के पीछे यही कारण है। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के उपचुनाव के नतीजे बिल्कुल भी हैरान करने वाले नहीं थे। निवर्तमान प्रतिनिधियों के निधन से एक लोकसभा एवं दो विधानसभा सीटें खाली हुई थीं, उनके परिवार के लोगों ने संबंधित दलों के लिए सीटें बरकरार रखीं। राजद और भाजपा की संख्याओं में कोई बदलाव नहीं आया।’’
पासवान ने कहा, ‘‘लेकिन हैरान करने वाले नतीजे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आए। पार्टी (भाजपा) ने केंद्र एवं राज्य में लोकप्रिय सरकारें होने के बावजूद दोनों सीटें गंवा दीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सबको पता है कि राजग प्रगति के लिए काम करता है। इस तथ्य के साथ ही थोड़ी होशियारी दिखाने की जरूरत है। नेताओं को ज्यादा होशियार रहने तथा विधानसभा चुनाव के दौरान आरक्षण के खिलाफ बोलने जैसी बड़ी गलतियों से बचने की जरूरत है।’’
वह 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नौकरियों के आरक्षण को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी की ओर इशारा कर रहे थे। माना जाता है कि भागवत की आरक्षण विरोधी टिप्पणी ने बिहार में भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन की हार में एक बड़ी भूमिका निभायी थी।