नई दिल्ली: इंडिया टीवी के सी-वोटर प्री पोल सर्वे में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन 119 सीटें जीतता दिख रहा है। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में सरकार बनाने के लिए सीटों का मैजिक नंबर 122 है। सी-वोटर्स का यह सर्वे आज रात लोकप्रिय चैनल इंडिया टीवी में प्रसारित किया गया।
राज्य में आरजेडी, जदयू और कांग्रेस का महागठबंधन 116 सीटें जीतता दिख रहा है जो भाजपा की अनुमानित सीटों से सिर्फ 3 सीट ही कम है। वहीं आठ सीटें अन्य के खाते में जाती दिख रही है। वहीं प्री-पोल सर्वे के मुताबिक भाजपा, एलजेपी, रालोसपा और हम के साथ वाली एनडीए 43 फीसदी वोट बैंक खींचती जान पड़ रही है, वहीं लालू-नीतीश और सोनिया के महागठबंधन को 41 फीसदी मत मिलते दिख रहे हैं। बिहार में 12 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होना है। सी-वोटर का कहना है कि उनका यह आंकलन राज्य के 243 क्षेत्रों में करीब 9,916 लोगों के साक्षात्कार के बाद सामने आया है। यह सर्वे सितंबर के आखिरी सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह के बीच किया गया है। सी-वोटर्स का यह भी कहना है कि उनके इस आंकलन में 3 फीसदी की खामी राज्य स्तर पर और 5 फीसदी की खामी स्थानीय स्तर पर हो सकती है।
साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के गठबंधन को 206 सीटें हासिल हुईं थीं, जबकि लालू प्रसाद के आरजेडी और पासवान के गठबंधन को सिर्फ 25 सीटें ही नसीब हुईं थीं। हालांकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए नीत भाजपा, रामविलास पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुश्वाहा की आरएलएसपी को 174 विधानसभा सेगमेंट में जीत हासिल हुई थी। वहीं मोदी लहर के बीच लालू और नीतीश को कुल 51 विधानसभा सेगमेंट में जीत मिली थी।
बीफ बैन पर लोगों की प्रतिक्रिया-
जब लोगों से बीफ बैन के बारे में पूछा गया तो करीब 73.3 फीसदी लोगों ने राय दी कि बीफ पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध होना चाहिए जबकि 25.9 फीसदी लोगों ने इसका विरोध किया।
प्री-पोल सर्वे के मुताबिक 73.3 फीसदी लोगों ने बीफ रिलेटेड मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी की निंदा की, जबकि 17.7 फीसदी लोगों ने इसके लिए न्यूज चैनलों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि 6.3 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे के लिए सोशल मीडिया पर दोष मढ़ा। वहीं जब लोगों से यह पूछा गया कि आप बीफ के मुद्दे पर जारी कंट्रोवर्सी को किस तरह से देखते हैं तो 61.4 फीसदी लोगों ने इस पर सहमति जताई कि यह मुद्दा राजनीति और चुनाव से प्रेरित है। वहीं 18.7 फीसदी लोगों ने यह भी कहा कि यह मुद्दा भावनाओं से उपजा है। 6.9 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे को संस्कृति और 9.2 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे को देशभक्ति से भी जोड़ा।
वोटर्स के लिए बड़ा मुद्दा क्या-
जब बिहार से लोगों से पूछा गया कि उनके लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है तो 17.9 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी और 12.7 फीसदी लोगों ने बिजली समस्या को मुख्य मुद्दा बताया। वहीं 25 फीसदी लोगों ने इस पर ‘कुछ कह नहीं सकते’ की बात कही।
कौन सी पार्टी सुलझाएगी समस्या-
जब लोगों से यह पूछा गया कि राज्य में कौन सी पार्टी समस्याओं को सुलझा सकती है इसपर 44.7 फीसदी लोगों ने एनडीए को उपयुक्त बताया जबकि 38.6 फीसदी लोग आरजेडी-जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन के समर्थन में दिखे। वहीं 16.6 फीसदी लोगों ने अन्य को इसके लिए सही ठहराया।
जातिगत राजनीतिक समीकरण-
प्री-पोल सर्वे में जातिगत राजनीतिक समीकरण के आधार पर किए गए अनुमान में 44 फीसदी दलित, 41 फीसदी महादलित, 50 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग, 29 फीसदी ओबीसी के साथ 70 फीसदी उच्च वर्ग एनडीए के साथ खडे नज़र आए, जबकि 28 फीसदी दलित, 33 फीसदी महादलित, 31 फीसदी अति पछड़ा वर्ग, 59 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग और 15 फीसदी उच्च वर्ग ने बिहार के महागठबंधन का समर्थन किया।