नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन पर गतिरोध जारी है। एक तरफ एनसीपी-शिवसेना अबतक सरकार गठन का दावा नहीं कर सकी है तो दूसरी ओर बीजेपी ने भी अबतक बहुमत का जुगाड़ नहीं किया है जिसके बाद नौबत राष्ट्रपति शासन तक पहुंच गई। कांग्रेस-एनसीपी के रूख के कारण शिवसेना सकते में है लेकिन इस वक्त शिवसेना के निशाने पर केवल बीजेपी है। इस बीच उद्धव ठाकरे ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वो कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन के लिए हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ सकते हैं।
बीजेपी से शिवसेना नाराज तो है लेकिन ये कहकर उद्धव ने सबको चौंका दिया कि राजनीति है और उन्हें 6 महीने का समय मिला है। शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते खराब होने के बाद से एनसीपी-कांग्रेस नई रणनीति बनाने में जुटी है लेकिन ये रणनीति कितना कारगर साबित होगी, फिलहाल ये कहना बेहद मुश्किल है। दरअसल कल एनसीपी-कांग्रेस की एक अहम मीटिंग हुई लेकिन इस मीटिंग में आगे की तस्वीर कुछ भी साफ नहीं हुई।
इस मीटिंग के बाद एनसीपी-कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन देने पर फैसला नहीं किया और न हीं शिवसेना को इस बारे में किसी तरह का आश्वासन भी नहीं दिया गया। हैरान करने वाली बात ये थी कि सरकार बनाने में हुई देरी की कवायद के लिए एनसीपी-कांग्रेस ने पूरा ठीकरा भी शिवसेना पर ही फोड़ दिया।
दरअसल शिवसेना के साथ आगे बढ़ने से पहले एनसीपी-कांग्रेस हर स्तर पर नफा-नुकसान का आकलन कर लेना चाहती है। यही वजह है कि एनसीपी-कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। मंगलवार का दिन महाराष्ट्र में बहुत ही गहमागहमी भरा रहा। बहुमत बटोरने के लिए तमाम दलों ने माथापच्ची तो खूब की लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
बदले हुए हालात में हरेक दल सरकार गठन को लेकर कोशिशें तो कर रही हैं लेकिन इन्हें कामयाबी कब मिलेगी अभी ये कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। सरकार बनाने की इसी कशमकश से निपटने के लिए एनसीपी ने आज अपने विधायकों की अहम बैठक बुलाई है। शरद पवार इन विधायकों से मिलेंगे और इनकी राय लेंगे। ये मीटिंग आज सुबह 11 बजे बुलाई गई है।
इस बीच महाराष्ट्र में जारी घमासान पर एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन औवैसी ने जोरदार निशाना साधा है। ओवैसी ने शिवसेना को कांग्रेस का समर्थन मिलने की खबरों पर कटाक्ष किया है और साफ शब्दों में कहा है कि शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का वो समर्थन नहीं करेंगे।