चंडीगढ़. पंजाब में पहला दलित मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस पार्टी ने जो दांव चला है उस दांव को 2024 के लोकसभा चुनाव तथा अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ जोड़कर देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके चरणजीत सिंह चन्नी सिद्धू कैंप के नेता हैं। अंदरखाने की खबरों के मुताबिक, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने ही चन्नी का नाम आगे किया था ताकि आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों में दलित वोटों को साधा भी जा सके और चुनावों के प्रमुख चेहरे के तौर पर सिद्धू आगे भी रहें।
बीते चार महीनों से जब पंजाब में सिद्धू और कैप्टन की अदावत चल रही थी तो ऐसा लग रहा था कि कैप्टन को हटा कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सिद्धू खुद बैठना चाह रहे थे। सिद्धू को जब कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया तो उस वक्त भी सिद्धू अपने साथ कांग्रेस विधायकों का जत्था लेकर स्वर्ण मंदिर पहुंच गए थे। स्वर्ण मंदिर जाकर सिद्धू ने आस्था का प्रर्दशन तो किया है अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी किया था।
सिद्धू खेमे के कई विधायक और सलाहकार लगातार कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोले बहुत कुछ कहते जा रहे थे और हर मौके को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए सिद्धू भी रह-रहकर दिल्ली पहुंच जाते थे। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला किया तो ऐसा लगा कि सिद्धू कामयाब हो गए हैं और उनके लिए मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन कैप्तान अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को देश विरोधी बताकर शायद उनके सपनों पर पानी फेर दिया।
हालांकि सिर्फ अमरिंदर सिंह की टिप्पणियों की वजह से ही नहीं, बल्कि जातीय समीकरण को सधने के लिए भी कांग्रेस ने सिद्धू की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी। हालांकि कांग्रेस पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने यह संकेत भी दिए कि अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को पार्टी सिद्धू के नेतृत्व में लड़ेगी। अब बड़ा सवाल उठता है कि अगर सिद्धू के नेतृत्व में कांग्रेस पंजाब का विधानसभा चुनाव लड़ती है और जीत भी जाती है तो फिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा? क्या चरणजीत सिंह चन्नी पर ही दांव खेला जाएगा या फिर सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा?
चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जो दांव खेला है उसे देखें, तो ऐसा लगता नहीं कि 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत होने पर सिद्धू मुख्यमंत्री बनेंगे। कम से कम 2024 के लोकसभा चुनाव तक तो कांग्रेस पार्टी चन्नी को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाएगी और अगर उससे पहले ही चन्नी को हटाकर सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो लोकसभा चुनाव में ऐसा संकेत जाएगा कि कांग्रेस ने सिर्फ चुनाव जीतने के लिए दलित चेहरे का इस्तेमाल किया। कांग्रेस पार्टी कम से कम लोकसभा चुनाव में तो इस छवि के साथ नहीं उतरना चाहेगी।
2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस पार्टी की जीत होती है तो ऐसी पूरी संभावना है कि चरणजीत सिंह चन्नी ही मुख्यमंत्री रहेंगे और कम से कम 2024 तक सिद्धू का पंजाब का मुख्यमंत्री बन पाना मुश्किल है।
दरअसल चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस पार्टी देशभर में यह छवि दिखाने का प्रयास कर रही है कि वही एक पार्टी है जो दलितों के उत्थान के लिए काम करती है और क्योंकि पंजाब के साथ उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं और उत्तर प्रदेश में भी दलित वोट किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी दलितों के उत्थान के लिए काम करने वाली छवि का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कर सकती है। 2022 में ही पंजाब से लगते हिमाचल प्रदेश तथा गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस पार्टी वहां पर भी अपने 'दलित कार्ड' का इस्तेमाल कर सकती है। इसके अलावा 2024 में लोकसभा चुनाव है और पंजाब से लगते हरियाणा में भी उसी साल विधानसभा चुनाव है। कांग्रेस पार्टी का पूरा प्रयास रह सकता है कि वह अपने 'दलित कार्ड' का इस्तेमाल आने वाले हर चुनाव में करे।