नई दिल्ली: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह वर्ष 2002 के नरोदा ग्राम दंगा मामले में भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर सोमवार को अहमदाबाद के SIT कोर्ट में गवाही दी। अमित शाह ने विशेष SIT अदालत को बताया कि 28 फरवरी, 2002 को नरौदा गाम में हुए दंगे की सुबह गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी प्रदेश विधानसभा और अस्पताल में मौजूद थीं। दंगा मामलों में आरोपी कोडनानी के अनुरोध पर शाह बचाव पक्ष के गवाह के रूप में आज अदालत में उपस्थित हुए। अमित शाह को माया कोडनानी की अपील पर अदालत ने समन भेजा था। कोर्ट में शाह ने बताया कि 2002 में जिस दिन नरोदा पाटिया में दंगा भड़का था उस दिन माया कोडनानी विधानसभा में उपस्थित थीं। (प्रद्युम्न हत्या के 10 दिन बाद फिर खुला रेयान इंटरनेशनल स्कूल, पिता ने जताया विरोध)
अमित शाह ने कोर्ट से कहा कि '28 फरवरी को मैं सुबह सवा 7 बजे अपने घर से विधानसभा के लिए निकला। सदन की कार्यवाही सुबह साढ़े 8 बजे शुरू होनी थी। विधानसभा में अध्यक्ष समेत सभी सदस्य मौजूद थे। कोडनानी भी विधानसभा में मौजूद थीं। सुबह 9:30 से लेकर 9:45 तक मैं सिविल अस्पताल में था और माया कोडनानी से वहां मिला था। विधानसभा में गोधरा ट्रेन कांड में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई थी।' शाह ने नरौदा गाम दंगा मामले में अहमदाबाद अदालत को बताया कि वह घटना वाले दिन सुबह सोला सिविल अस्पताल में माया कोडनानी से मिले थे। पुलिस उन्हें और माया कोडनानी को सुरक्षित स्थान पर ले गई थी, क्योंकि गुस्साई भीड़ ने उन्हें अस्पताल में घेर लिया था। शाह ने अदालत को बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सिविल अस्पताल से पुलिस द्वारा सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद माया कोडनानी कहां गईं।
गौरतलब है कि सास 2002 के गुजरात दंगों में नरोदा पाटिया में 97 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। यह हादसा गोधरा कांड के अगले ही दिन 27 फरवरी 2002 में हुआ था। उस वक्त माया कोडनानी नरोदा पाटिया की विधायक थी। माया कोडनानी ने कहा है कि अहमदाबाद के निकट नरोदा ग्राम में हुए दंगों के दौरान वह विधानसभा के सत्र में भाग लेने के बाद सोला सिविल अस्पताल गयी थीं। माया के मुताबिक, वह उस स्थान पर थीं ही नहीं, जहां हिंसा हुई थी। माया कोडनानी ने 28 साल कैद सुए जाने के कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने इस घटना में शामिल ना होने के सुबूत के तौर पर अमिक शाह और 7 अन्य लोगों को कोर्ट में गवाही देने की मांग की थी। अदालत ने कोडनानी की इस अपील को स्वीकार कर लिया था। जिसके बाद अमित शाह को कोर्ट ने समन भेजा था।