अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मकर संक्रांति पर सूर्य की महिमा का बखान एक कविता लिखकर किया है, जिसमें लिखा गया है, ‘‘आज तपते सूरज को, तर्पण का पल। शत-शत नमन, शत-शत नमन। सूरज देव को अनेक नमन।’ मोदी ने गुरुवार को मकर संक्रांति के अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए अपनी मातृभाषा गुजराती में लिखी कविता को ट्वीट किया। यह कविता आकाश का गुणगान करते हुए शुरू होती है। उन्होंने बाद में इसका हिंदी अनुवाद साझा करते हुए कहा, ‘आज सुबह मैंने गुजराती में एक कविता साझा की थी। कुछ साथियों ने इसका हिंदी में अनुवाद कर मुझे भेजा है। उसे भी मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं।’
‘…पत्थर हो या पतझड़, वसंत में भी संत’
इसकी शुरुआती पंक्तियों में गुजराती में कहा गया है, ‘आभ मा अवसर आने आभ मा जे अंबर, सूरज नो तप सामे आभे मा आने चांदनी रेलई ए जे आभा मा (अंबर से अवसर और आंख में अंबर, सूरज का ताप समेटे अंबर, चांदनी की शीतलता बिखेरे अंबर)।’ इसमें आगे लिखा गया है, ‘जगमग तारे अंबर उपवन में, विराट की कोख में, अवसर की आस में, टिमटिमाते तारे तपते सूरज में, नीची उड़ान करे परेशान। ऊंची उड़ान साधे आसमान। हो कंकड़ या संकट, पत्थर हो या पतझड़, वसंत में भी संत। विनाश में है आस। सपनों का अंबर, अंबर सी आस। गगन विशाल जगे विराट की आस।’
‘आज तपते सूरज को, तर्पण का पल’
गुजराती कविता के हिंदी अनुवाद के अनुसार, ‘‘मार्ग तप का, मर्म आशा का, अविरत अविराम, कल्याण यात्री सूर्य।’ कविता में आकाश के साथ सूर्य का भी यशगान किया गया है। इसमें लिखा है, ‘आज तपते सूरज को, तर्पण का पल। शत-शत नमन, शत-शत नमन। सूरज देव को अनेक नमन।’ मोदी ने गुजराती भाषा में अनेक कविताएं लिखी हैं और उनकी कविताओं की एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर अनेक भाषाओं में मकर संक्रांति उत्सव की शुभकामनाएं दीं जो देशभर में पोंगल, माघ बीहू और पौष संक्रांति आदि अलग-अलग नाम से मनाया जाता है।
कविता का हिंदी अनुवाद