नई दिल्ली. साल 2014 से पीएम नरेंद्र मोदी भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली शपथ आज ही के दिन साल 2001 में गुजरात में ली थी। तब से लेकर आज तक पहले गुजरात और फिर पूरे भारत पर मोदीराज कायम है। किसी भी लोकतंत्र में नरेंद्र मोदी ऐसे पहले नेता हैं जिन्होंने इतने दिनों तक सत्ता चलाई, अपनी लोकप्रियता बनाए रखी। सीएम की कुर्सी से पीएम की कुर्सी तक, चुनी हुई सरकार यानी डेमोक्रेटिकली इलेक्टेड सीएम या पीएम के तौर पर मोदी की एंट्री 20वें साल में हो चुकी है और इसी के साथ मोदी ने एक नई दहलीज पर कदम रख दिया है। ये इतिहास है भारतीय राजनीति का। ये मुकाम है दो दशक तक सत्ता के सर्वोच्च पद पर काबिज रहने का। 7 अक्टूबर 2001 से 7 अक्टूबर 2020 तक की 'मोदी टाइमलाइन' ने भारत के दिग्गज नेताओं के साथ साथ वर्ल्ड लीडर्स को भी पीछे छोड़ दिया है।
2001 में बने गुजरात के सीएम
7 अक्टूबर वही तारीख है, जब नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने पहली बार कोई सरकारी पद संभाला था। साल 2001 यानी ठीक 19 साल पहले मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। और तब से लेकर अब तक वो लगातार देश में किसी न किसी चुनी गई सरकार के मुखिया हैं। पहले गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री और अब देश में बतौर प्रधानमंत्री। सवाल ये है कि गुजरात के CM से भारत के PM तक नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के अजेय योद्धा कैसे बन गए।मोदी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
सत्ता में मोदी ने 20वें साल में एंट्री के साथ ही एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसमें मोदी ने भारत में पंडित नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी और विदेश में ब्रिटेन की पूर्व पीएम मारग्रेट थैचर से लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी पीछे छोड़ दिया है। इस वक्त मोदी दुनिया के इकलौते ऐसे लीडर हैं, जो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अपने 20वें साल में लीड कर रहे हैं।
मोदी के बगल में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का नाम है, जिन्होंने बतौर गवर्नर और राष्ट्रपति बीस सालों तक अमेरिका को अपनी सेवाएं दी। बिल क्लिंटन की ही तरह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रोज़वेल्ट ने 16 साल 3 महीने तक सेवाएं दी। जर्मनी के पूर्व चांसलर हेल्मुट कोल ने 16 साल, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 14 साल, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा मित्तरां ने 13 साल 11 महीने, ब्रिटेन की पूर्व पीएम मारग्रेट थैचर ने 11 साल 6 महीने और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 8 साल तक अपनी सेवाएं दी थीं।
चार बार रहे गुजरात के सीएम
नरेंद्र मोदी चार बार गुजरात के सीएम रहे। पहली दफा उन्होंने केशुभाई पटेल की जगह 7 अक्टूबर 2001 को मुख्यमंत्री पद संभाला था। इसके बाद 22 दिसंबर 2002 तक राज्य के सीएम रहे। इसके बाद 22 मई 2014 तक वे लगातार 12 साल 227 दिन राज्य के मुख्यमंत्री रहे। गुजरात में ये किसी एक मुख्यमंत्री का सबसे लंबा कार्यकाल है। इसके अलावा मोदी सबसे ज्यादा दिनों तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले पहले गैर-कांग्रेसी नेता भी हैं और इसकी एक वजह लोगों से उनका डायरेक्ट कनेक्शन भी हो सकता है।
20 सालों में मोदी ने नहीं लिया कोई ब्रेक
मोदी ने इन बीस सालों में कोई ब्रेक नहीं लिया है और इस तरह उन्होंने एक नेता के करियर के लिहाज से भारत के कई दिग्गज नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया। बतौर मुख्यमंत्री मोदी का कार्यकाल 4607 दिनों का था जबकि प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने 2334 दिन पूरे कर लिए हैं। अगर इन दोनों को जोड़ लिया जाए तो मोदी के नंबर ऑफ डेज़ हो जाते हैं 6941, जो देश के दूसरे प्रधानमंत्रियों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा हैं। बतौर पीएम पंडित नेहरु ने 6130 दिनों तक, इंदिरा गांधी ने 5829 दिनों तक, मनमोहन सिंह ने 3656 दिनों तक देश को अपनी सेवा दीं। सीएम और पीएम के तौर पर मोरारजी देसाई 2511 दिन संवैधानिक पद पर रहे, अटल बिहारी वाजपेयी 2272 दिन तक पीएम रहे। पीवी नरसिम्हा राव ने सीएम और पीएम के तौर पर 2229 दिन कुर्सी संभाली।
राजीव गांधी 1857 दिनों तक प्रधानमंत्री रहे। सीएम और पीएम के तौर पर वीपी सिंह का कार्यकाल 1082 दिन का था। इसी पैमाने पर एचडी देवगौड़ा ने 862 दिन...और चरण सिंह 723 दिनों तक कुर्सी पर रहे। लालबहादुर शास्त्री ने 581 दिनों तक पीएम के तौर पर अपनी सेवाएं दीं, आईके गुजराल का कार्यकाल 332 दिनों का था। चंद्रशेखर का कार्यकाल 223 दिनों का और गुलजारी लाल नंदा का कार्यकाल 26 दिनों का था। इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ गुजरात का सीएम रहते हुए आम जनमानस के दिल में अपनी छाप छोड़ी बल्कि पीएम पद की कुर्सी पर बैठने के बाद भी लोगों को खुद से जोड़कर रखा। लोकतांत्रिक तौर पर चुनी गई सरकार के मुखिया के तौर पर मोदी के 6941 दिन इसका जीता जागता उदाहरण है।
दुनिया को करवाया भारत की ताकत का एहसास
साल 2014 में मोदी की लोकप्रियता अपने उफान पर थी और पूर्ण बहुमत के साथ जब मोदी बतौर प्रधानमंत्री पहली बार संसद भवन पहुंचे, तो संसद की डेहरी पर उन्होंने मत्था टेका। उनकी इस तस्वीर ने सबको अहसास दिलाया कि मोदी के लिए लोकतंत्र के इस मंदिर का महत्व कितना ज़्यादा है। साल 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री के तौर पर पीएम मोदी ने भारत की ताकत का अहसास दुनिया को कराया। 2020 में दुनिया ने भारत से सीखा चीन जैसे देशों को सबक सिखाने के लिए कड़े से कदम उठाए जा सकते हैं, बस उसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की ज़रुरत है।
पब्लिक के दिलों पर राज करते हैं मोदी!
20 साल की नॉनस्टॉप इनिंग बहुत बड़ी बात होती है। लोकतंत्र में वही नेता लंबे वक्त तक सरकार का मुखिया रह सकता है जो पब्लिक के दिल पर राज करता हो। आखिर नरेंद्र मोदी की USP क्या है, गुजरात में सरकार चलाने से लेकर दिल्ली आने तक। हिंदुस्तान में नरेंद्र मोदी इकलौते ऐसे नेता हैं जो जनता का मूड सबसे अच्छी तरह समझते हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बाकी नेताओं की सोच खत्म होती है, वहां से नरेंद्र मोदी सोचना शुरू करते हैं। राजनीति की जिस पिच पर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना सबसे मुश्किल होता है,जिस पिच पर विरोधियों से निपटना सबसे चुनौतीपूर्ण होता है, मोदी ने राजनीति की उसी पिच पर नए कीतिर्मान गढ़े हैं।
दरअसल पॉलिटिक्स में नरेंद्र मोदी की प्रयोगशाला को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि मोदी जनता के साथ सीधे connect है। साल 2019 में मिला ऐतिहासिक जनादेश कहता है मोदी करेक्ट है। जनता के बीच इमेज की सॉलिड क्रेडिबिलिटी, कमिटमेंट को पूरा करने का स्ट्राइक रेट और सियासत की ट्रेडिशनल सोच से हटकर क्रिएटिव एप्रोच मोदी ब्रांड की USP है। नरेंद्र मोदी की वर्किंग स्टाइल और निर्णयों को कई चश्मे से देखा जाता है लेकिन एक बात मोदी के दिमाग में क्लियर है,जो उनके हर एक्शन में नजर आती है।मोदी जो ठान लेते हैं, फिर बिना रुके और थके पूरा करते हैं, ऐसा नरेंद्र मोदी तब भी करते थे जब मुख्यमंत्री थे और आज भी जब प्रधानमंत्री हैं।