नई दिल्ली। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की, पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और अलग हो चुके शिवपाल सिंह यादव को फिर से एक साथ लाने की कोशिशों को अंजाम तक पहुंचाने के लिये पार्टी को विधानसभा उपचुनाव का इंतजार है।
सूत्रों के मुताबिक, पुत्र अखिलेश और भाई शिवपाल के बीच खटास दूर करने की मुलायम सिंह की शुरुआती कोशिश, चाचा भतीजे की दरार पाटने में कामयाब नहीं रही। मुलायम की पहल पर पैतृक गांव सैफई में अखिलेश और शिवपाल की मुलाकात जरूर हुई, लेकिन शिवपाल ने सपा में अपनी पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के विलय से फौरी तौर पर इंकार कर दिया है।
मुलायम परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि शिवपाल ने विधानसभा उपचुनाव में सपा प्रसपा के मिलकर चुनाव लड़ने का विकल्प सुझाया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। भाजपा के नौ और सपा एवं बसपा के एक-एक विधायक के लोकसभा चुनाव जीतने तथा हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल का निर्वाचन रद्द होने के कारण, इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा का इंतजार है।
लोकसभा चुनाव में सपा का जनाधार दरकने की वजह से पूरे परिवार की राजनीतिक विरासत पर उपजे संकट को लेकर मुलायम सिंह ने पिछले सप्ताह शिवपाल को दिल्ली बुलाकर चर्चा की थी। चुनाव में यादव वोटबैंक के बिखराव से अखिलेश का ‘सपा-बसपा गठबंधन’ प्रयोग नाकाम होने में प्रसपा की भूमिका के मद्देनजर, मुलायम सिंह ने शिवपाल से पारिवारिक टकराव खत्म करने को कहा है।
इस घटनाक्रम से जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सपा में प्रसपा के विलय की तत्काल संभावना से इंकार करते हुये बताया, ‘‘शिवपाल ने नेताजी (मुलायम) से कहा है कि वह अकेले कोई फैसला नहीं कर सकते। उन्हें इसके लिये प्रसपा के उन नेताओं से बात करनी होगी, जिन्होंने संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में साथ देकर प्रसपा को खड़ा किया है।’’
सपा के एक सांसद ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से सुलह की कोशिशों के बीच मुलायम ने चाचा भतीजे को तत्काल एकजुट होने की जरूरत समझाते हुये आगाह किया है कि अगर अब नहीं संभले, तो फिर राजनीतिक भविष्य ठीक नहीं है। समझा जाता है कि शिवपाल ने राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव को पारिवारिक कलह की मूल वजह बताते हुये सपा संरक्षक से कहा है कि प्रसपा और सपा, उपचुनाव भी मिलकर तब ही लड़ेंगी जबकि अखिलेश रामगोपाल से पुख्ता दूरी बना लें।
उल्लेखनीय है कि 30 मई को मोदी सरकार के दूसरी बार हुए शपथ ग्रहण के बाद मुलायम ने एक जून से ही शिवपाल और अखिलेश को एकजुट करने की कोशिशें तेज कर दी थीं। शुरुआती तीन दिन मुलायम और शिवपाल दिल्ली में थे। चार जून को मुलायम ने शिवपाल और अखिलेश सहित पूरे परिवार को सैफई बुलाकर बातचीत की। इसके बाद लखनऊ में भी मुलायम ने पारिवारिक कलह समाप्त करने की कोशिश जारी रखी। समझा जाता है कि परिवार को एकजुट करने की बीते सप्ताह मुलायम सिंह की सतत कोशिशों के पीछे शिवपाल और अखिलेश का अगले सप्ताह, सपरिवार विदेश यात्रा पर जाने का पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम भी प्रमुख वजह रहा।